कर्ज पर काबू पाएं राज्य नहीं तो विकास पर पड़ेगा असर
कोविड के बाद राज्यों की वित्तीय स्थिति में तेजी से सुधार दिख रहा है लेकिन जिस तरह से पिछले कुछ वर्षों के दौरान राज्यों पर कर्ज का बोझ बढ़ा है, वह एक बड़ी चिंता का कारण है। अधिकांश राज्य वित्त वर्ष 2023-24 का बजट पेश कर चुके हैं। इससे जुड़े आंकड़े बताते हैं कि, इन पर कर्ज का बोझ पिछले वर्ष के मुकाबले 11.5 प्रतिशत बढ़ा है। वैसे राज्यों के कुल सकल घरेलू उत्पादन (एसजीडीपी) के मुकाबले कर्ज का अनुपात वर्ष 2021 (31 प्रतिशत) के मुकाबले अब कम हो कर 28.5 प्रतिशत हो गया है। इसके बावजूद
इस कर्ज को चुकाने में राज्यों को अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा देना पड़ेगा। आरबीआइ का एक अध्ययन पत्र चेतावनी भरे लहजे में कहता है कि अगर कर्ज का बोझ बढ़ता रहा तो राज्य पूंजीगत व्यय ज्यादा नहीं कर पाएंगे और इससे इनके विकास दर पर असर होगा।
आरबीआइ ने पिछले शुक्रवार को राज्यों सरकार की तरफ से पूंजीगत व्यय और इनकी विकास दर के बीच संबंधों पर एक अध्ययन रिपोर्ट प्रकाशित की। इसमें कहा गया है कि राज्य जब पूंजीगत व्यय में एक व प्रतिशत की वृद्धि करते हैं तो राज्य की विकास दर में 0.82 से 0.84 प्रतिशत की वृद्धि होती है। -दैनिक भास्कर से साभार.....