ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से शिक्षा की गुणवत्ता के साथ खिलवाड़.सार्वजनिक शिक्षा बचाओ मंच के द्वारा अधिवेशन का आयोजन

ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से शिक्षा की गुणवत्ता के साथ खिलवाड़.सार्वजनिक शिक्षा बचाओ मंच के द्वारा अधिवेशन का आयोजन

अक़्स न्यूज लाइन,शिमला--31 दिसंबर
 

सार्वजनिक शिक्षा बचाओ मंच के द्वारा विभिन्न संगठनों वी शिक्षा जगत से जुड़े अलग-अलग राजनीतिक व गैर राजनीतिक समूहों को लामबंद करते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत सार्वजनिक  शिक्षा पर हो रहे हमले के खिलाफ आंदोलन की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक अधिवेशन का आयोजन किया अधिवेशन को संबोधित करते हुए विभिन्न वक्ताओं ने अपनी बातचीत रखी की किस तरह से आज राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से केंद्र व राज्य की सरकार शिक्षा के निजीकरण व्यापारीकरण व केंद्रीयकरण के साथ-साथ पाठ्यक्रमों में बदलाव करके शिक्षा के सांप्रदायिकरण को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति देश के शैक्षणिक ढांचे को ध्वस्त करने का काम करने जा रही है।
 

नियमित शिक्षकों की जगह पार्ट टाइम एडहॉक या गेस्ट लेक्चरर या फिर ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से शिक्षा की गुणवत्ता के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है यही नहीं यह शिक्षा नीति चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम के नाम पर छात्रों के ऊपर विषयों को थोपने का काम करने वाली है।
 यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति एक विरोधाभासी दस्तावेज है एक तरफ दस्तावेज में कहा गया है कि एनईपी लागू होने के बाद 6% बजट सरकार शिक्षा के ऊपर जीडीपी का खर्च करेगी लेकिन दूसरी तरफ अध्यापकों व नॉन टीचिंग स्टाफ की सैलरीज के लिए सेवंथ पे कमीशन यह रिकमेंडेशन करता है कि सरकार केवल 70% ही तनख्वाह का हिस्सा वहन करेगी 30% संस्थाओं को स्वयं रिसोर्स मोबिलाइज करने होंगे।

 जिसका सीधा असर आने वाले समय में फीस बढ़ोतरी या अलग-अलग चार्ज के नाम पर छात्रों की फीस बढ़ोतरी के रूप में देखा जा सकता है यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति आदिवासी या समाज के पिछड़े तबके से आने वाले छात्रों को जो आर्थिक सहायता स्कॉलरशिप के माध्यम से अभी तक मिलती आ रही थी 
उसको खत्म करने की कोशिश इस नीति के माध्यम से की जा रही है यह शिक्षा नीति एक तरफ 33% ग्रॉस एनरोलमेंट रेशो के लक्ष्य को हासिल करने की बात करती है लेकिन दूसरी ओर इसी नीति के चलते विश्वविद्यालय व महाविद्यालय में सीमित सीटों की व्यवस्था की जा रही है अलग-अलग प्रवेश परीक्षाओं के माध्यम से अधिकतर छात्रों को उच्च शिक्षा से पहले ही दूर करने की कोशिश की जा रही है प्रवेश परीक्षाओं के लिए एंट्रेंस प्रणाली को अनिवार्य करने से देश में कोचिंग माफिया को बढ़ावा देने की कोशिश की जा रही है।
 

इसके साथ-साथ इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से भाजपा व आरएसएस अपनी विचारधारा का प्रचार प्रसार करने के लिए स्कूली पाठ्यक्रम से लेकर कालेज व विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में बदलाव करने की कोशिश कर रही है तथा तथ्यात्मक व वैज्ञानिक शिक्षा पद्धति को पाठ्यक्रम से हटाकर गैर जनवादी गैर वैज्ञानिक व रूढ़िवादी शिक्षा को परोसा जा रहा है ।
इतिहास के साथ छेड़छाड़ करने के लिए इतिहास का पुनर लेखन करने की कोशिश की जा रही है यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति निजीकरण को बढ़ावा देने का काम कर रही है इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से राज्यों के अधिकारों पर एक बड़ा हमला होने जा रहा है तथा देश के संघीय ढांचे को खत्म कर केंद्रीयकृत शिक्षा व्यवस्था देश में लागू करने की कोशिश की जा रही है।
 

अतः हिमाचल प्रदेश के साथ-साथ देश के अलग-अलग कोनों में लोग इस छात्र व देश विरोधी शिक्षा नीति के खिलाफ अपनी आवाज को बुलंद कर रहे हैं उसी कड़ी में यह अधिवेशन आज जिसमें जिला भर के विभिन्न संगठनों से लगभग 120 के करीब प्रतिनिधियों ने भाग लिया शिमला में संपन्न हुआ जिसमें एक ऑर्गेनाइजिंग कमेटी का भी गठन किया गया जो आगामी रणनीति इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति के खिलाफ क्या रहेगी उसे पर समय-समय पर विचार करेगी।