एफसीए के लंबित मामलों के निपटारे के लिए 220 मामलों की हुई समीक्षा
उन्होंने कहा कि जिन मामलों की केन्द्र सरकार ने फॉरेस्ट क्लीयरेंस के लिए आपत्ति लगाई है उन मामलों को आपत्तियों का निपटारा करके दोबारा केन्द्र सरकार को भेजें। उन्होंने कहा कि एफसीए की मंजूरी के बाद ही विकास कार्यों के लिए विभागों को वन भूमि हस्तांतरित होगी। उन्होंने कहा कि समय पर एफसीए की मंजूरी न मिलने के कारण विकास परियोजनाओं में देरी हो रही है। बैठक में जिला मण्डी में वन भूमि में प्रस्तावित कोर्ट कॉम्प्लेक्स के निर्माण के एफसीए मामलों की समीक्षा भी की गई।
इस दौरान मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी सिद्धार्थ कृपाल, वन विभाग के उच्चाधिकारी तथा विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।