लोगों के अधिकारों का हनन नहीं होगा बर्दाश्त - उपायुक्त
इस बैठक में अनुसूचित जाति / जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के तहत न्यायालय में लंबित मामलों पर विस्तृत चर्चा की गई। न्यायालयों में केवल 29 मामले अभी लंबित है। ये मामले 2018 से लेकर आज तक लंबित है।
उपायुक्त अनुपम कश्यप ने कहा कि एक सितंबर 2023 से लेकर 30 सितंबर 2024 तक जिला शिमला के विभिन्न पुलिस थानों में पंजीकृत 39 मामले है।इसके अलावा 1 सितंबर 2023 से लेकर 31 अक्टूबर 2024 तक 34 पीड़ितों को राहत राशि प्रदान की गई है। इसके बारे में भी चर्चा की गई। नियमों के मुताबिक पीड़ितों को एक लाख रुपए से लेकर 8 लाख 25 हजार रुपए तक देने का प्रावधान है।
उन्होंने कहा कि कानून के हिसाब से लोगों को न्याय दिलवाने के प्रयास किया जाएगा। लोगों के अधिकारों का हनन किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं होगा। पुलिस मामले की जांच निर्धारित समय के हिसाब से करें। मामलों की जांच में किसी भी प्रकार का भेदभाव न किया जाए।
उन्होंने कहा समिति की बैठक भविष्य में निरंतर आयोजित होगी ताकि मामलों की समीक्षा समय-समय पर हो सके। आगामी दिसंबर माह के तीसरे सप्ताह में बैठक करवाने का निर्णय लिया गया। अनुसूचित जाति, जनजाति के आधार भेदभाव को लेकर लोगों जागरूक किया जाता है।। वहीं कानूनों के बारे में भी बताया जाता है।
बैठक में फैसला लिया गया कि उक्त अधिनियम के तहत दर्ज जिन मामलों पर पुलिस ने कैंसिलेशन रिपोर्ट बनाई है, उनकी जांच दोबारा शुरू की जाए। जिला में 17 मामलों में कैंसिलेशन रिपोर्ट बनाई गई है।
पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार गांधी ने कहा कि पुलिस मामलों की जांच तथ्यों और सबूतों के आधार पर करती है।अनुसूचित जाति / जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के तहत जो शिकायत आती है उसमे नियमों के मुताबिक एफआईआर दर्ज की जाती है। पुलिस जब एफआईआर दर्ज करके जांच करती है तो इस दौरान मामला या तो कोर्ट में प्रेषित किया जाता है या कैंसिलेशन रिपोर्ट बनाई जाती है।
यह भी रहे मौजूद
अतिरिक्त उपायुक्त अभिषेक वर्मा, एडिशनल एसपी रत्न नेगी, एडिशनल एसपी नवदीप, जिला भाषा अधिकारी अनिल हारटा, डीएसपी विजय कुमार रघुवंशी, डीएसपी सिटी मानवेंद्र ठाकुर, सीडीपीओ ठियोग सिद्धार्थ शर्मा, सीडीपीओ नरेश शर्मा, गैर सरकारी सदस्य उत्तम सिंह कश्यप, जीत राम पंवर, मीनाक्षी रघुवंशी, मुक्ता कश्यप सहित कई गणमान्य मौजूद रहे।