अक्स न्यूज लाइन शिमला 17 अक्टूबर :
सीपीआईएम राज्य कमेटी हिमाचल प्रदेश ने 26 नवंबर 2025 व 19 जनवरी 2026 को होने वाले मजदूरों किसानों के देशव्यापी प्रदर्शनों को सफल बनाने के लिए एक राज्य स्तरीय अधिवेशन का आयोजन कालीबाड़ी हॉल शिमला में किया। अधिवेशन में लगभग दो सौ पार्टी नेता शामिल हुए। सीपीआईएम ने मजदूरों किसानों के इन प्रदर्शनों को पूर्ण समर्थन देने का ऐलान किया है व प्रदेश के सभी पार्टी कार्यकर्ताओं से इन प्रदर्शनों को सफल बनाने का आह्वान किया है।
अधिवेशन का संचालन राज्य सचिव संजय चौहान ने किया। अधिवेशन के समक्ष इन प्रदर्शनों को सफल बनाने व केंद्र सरकार की नवउदारवादी नीतियों के खिलाफ संघर्ष को तेज करने का प्रस्ताव डॉ ओंकार शाद ने रखा। सम्मेलन को पार्टी नेता राकेश सिंघा, प्रेम गौतम, विजेंद्र मेहरा, कुशाल भारद्वाज, डॉ कुलदीप सिंह तंवर, भूपेंद्र सिंह, गीता राम, राजेंद्र ठाकुर, मोहित वर्मा, जोगिंद्र कुमार, अशोक कटोच, नरेंद्र विरुद्ध ने संबोधित किया। वक्ताओं ने कहा कि केंद्र की मोदी संचालित राजग सरकार की कॉर्पोरेट सांप्रदायिक नीतियों से अमीरी और गरीबी में खाई बढ़ी है। यह सरकार पूरी तरह पूंजीपतियों के साथ खड़ी हो गई है। किसानों पर वर्ष 2020 में काले कृषि कानूनों को लादने की नाकाम कोशिश व मजदूर विरोधी चार लेबर कोड लादने स्पष्ट हो गया है कि मोदी सरकार पूंजीपतियों का मुनाफा बढ़ाने के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार है। इन नवउदारवादी नीतियों से गरीब और ज्यादा गरीब हुआ है व अमीर और ज्यादा अमीर हुआ है। इन नीतियों से किसानों की आत्महत्याएं बढ़ी हैं। मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा खत्म हुई है। चार लेबर कोड मजदूरों को बंधुआ मजदूरी व गुलामी में धकेलेंगे। किसानों के न्यूनतम समर्थन मूल्य व कर्जा मुक्ति का सवाल आज भी बरकरार है। हिमाचल प्रदेश में किसानों की बेदखली, मुआवजा व अन्य सवाल अभी भी हल नहीं हो पाए हैं। मजदूरों के शोषण में लगातार वृद्धि हो रही है। उनके वास्तविक वेतन में कटौती हो रही है। नियमित रोजगार के बजाए योजना कर्मी, आउटसोर्स, ठेका, पार्ट टाइम, टेंपरेरी, कैजुअल, मल्टी टास्क, मित्र योजना, ट्रेनी आदि श्रेणियों में नियुक्ति के माध्यम से मजदूरों व कर्मचारियों का भारी शोषण हो रहा है। उन्हें सिर्फ चार हजार से बारह हजार रुपए मासिक वेतन दिया जा रहा है। मेहनतकश जनता महंगाई व बेरोजगारी की समस्या से पीड़ित है। मेहनतकश जनता के कष्टों में लगातार इजाफा हो रहा है। देश के सबसे बड़े पांच पूंजीपति देश की बीस प्रतिशत संपत्ति पर काबिज हो गए हैं। देश की आधी जनसंख्या सत्तर करोड़ जनता की संपत्ति कुल जीडीपी का केवल मात्र तीन प्रतिशत है। पूंजीपतियों राजनेताओं व नौकरशाही का गठजोड़ देश व प्रदेश में जनता का खून चूस रहा है। मोदी सरकार द्वारा अपनी अमीर परस्त नीतियों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए सांप्रदायिक नीतियों का सहारा लिया जा रहा है। इस से देश की एकता व अखंडता पर खतरा मंडरा रहा है। इसके खिलाफ जनता को व्यापक एकता बनाते हुए मोर्चाबंदी करने की जरूरत है।