सिविल डिफेंस प्लान के संचालन में नोडल अधिकारियों की अहम भूमिका: डीसी

उन्होंने सभी उपमंडलाधिकारियों को इस संबंध में उचित कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि डिफेंस प्लान की तैयारियों को परखने के लिए निकट भविष्य में कांगड़ा जिला में सिविल डिफेंस ड्रिल भी आयोजित की जाएगी ताकि आपातकालीन स्थितियों में बेहतर तरीके से कार्य किया जा सके। उन्होंने कहा कि ड्रिल लोगों को सायरन की आवाज और उसका मतलब समझाने, साथ ही सुरक्षित स्थान में जाने जैसी त्वरित प्रतिक्रिया का अभ्यास करवाने के लिए होती है। उन्होंने कहा कि सिविल डिफेंस ड्रिल में ब्लैकआउट प्रॉटोकॉल लागू करने का मतलब है युद्ध, हवाई हमला या अन्य बड़े खतरे के दौरान सभी बत्तियां बुझाना। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें रात के समय या विशेष परिस्थितियों में घरों, इमारतों, सड़कों आदि की बत्तियों को बंद या ढक दिया जाता है ताकि दुश्मन के हवाई हमलों या निगरानी से बचा जा सके।
उन्होंने कहा कि ड्रिल नागरिकों और अधिकारियों को प्रशिक्षित करती है कि आपात स्थिति में ब्लैकआउट को तुरंत और प्रभावी ढंग से लागू कैसे करना है। उन्होंने कहा कि स्ट्रीट लाइट्स, वाहनों की हेडलाइट्स, और रोशनी के अन्य स्रोतों को कंट्रोल करना सिखाया जाता है।
उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया आपातकालीन स्थिति में लोगों को खतरे वाले क्षेत्र से सुरक्षित स्थान पर ले जाने की योजनाओं को अपडेट करने और उनका अभ्यास करने से संबंधित है। उन्होंने कहा कि सिविल डिफेंस प्लान के तहत शेल्टर, कैंप जैसे सुरक्षित स्थानों की उपलब्धता और क्षमता सहित बुजुर्ग, बच्चों, विकलांग जैसे विशेष जरूरतों वाले लोगों के लिए व्यवस्था की जाती है। सिविल डिफेंस प्लान में अस्पताल, परिवहन तथा आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति इत्यादि को लेकर भी विस्तृत तैयारी की जाती है। इस अवसर पर एसएसपी शालिनी अग्निहोत्री, होम गार्ड के कमांडेंट, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ के प्रतिनिधि, लोक निर्माण विभाग, आईपीएच तथा स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।