रेल का सपना या सपनों में रेल..... दशकों बीत जाने के बाद भी सिरमौर रेल प्रोजेक्ट फाइल से बाहर नहीं निकला
अक़्स न्यूज लाइन, नाहन -- 30 अप्रैल अरूण साथी
सियासी नेताओं ने विकास के नाम पर वोट बटोरने का लिए सिरमौर के लोगों को रेल लाइन बिछाने का सपना दिखाते आए है। लेकिन आजादी के 75 साल बीत जाने के बाद भी यहाँ रेल प्रोजेक्ट केंद्र सरकार की फाइलों में एक इंच भी आगे नही बढ़ पाया। लाखों सिरमौरियों के लिए रेल एक आज भी किसी सपने से कम नहीं है। रेल तो बस यहां के लोगों के सपनों में चल रही है।
पिछले कई दशकों में कांग्रेस भाजपा की केंद में आई सरकारों ने सिरमौर जिला को रेल लाइन से जोडने की कई बार घोषणा की। आधा दर्जन से ज्यादा बार पांवटा वैली को रेल लाइन से जोडने के लिए सर्वे कराए जा चुके हैं लाखों का बजट का ख़र्च हुआ लेकिन नतीजा जीरो रहा है।
जब जब केंद्र सरकार ने रेल लाइन के लिए सर्वे कराए या फिर कोई ऐलान किया तो अलग अलग स्टेटमेंट नेताओं की ओर आई कभी कहा गया कि पांवटा से जगाधरी हरियाणा तक लिंक होगा, सालों बीत जाने के बाद कहने लगे रेलवे लाइन अम्बाला से जुड़ेगी। कुछ दशक बीत जाने बाद कहा गया है अब इंडस्ट्रियल कॉरिडोर को देखते हुए रेलवे लाइन सर्वे होगा बीबीएन तक कवर करेगें जिला सिरमौर में उद्योगपतियों का लाभ पहुंचाना है। सपने दिखाने वाले सियासी नेता यही नहीं रुके कुछ साल पहले फि र बयान आये कहा अब रिलिजियस कॉरीडोर चाहिए सो रेल पांवटा वैली से देरादून तक लिंक करने का प्रोजेक्ट बनेगा। क्योंकि वाया पांवटा साहिब प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालुओं का आना जाना होता है।
वास्तविकता आज सबके सामने है चुनकर दिल्ली गए सांसदों ने सिरमौरियों के लिए संसद में रेल लाइन की मांग उठाई लेकिन सरकार के रेल बजट में जिला को सर्वे ही मिले। अभी तक कुछ हाथ नहीं आया। अभी सिरमौर के लिये रेल तो पिछले 75 साल से सपनों में है। कुछ साल पहले शहर के नीचे से टनल निकालने के लिए केंद्र सरकार ने सर्व हेतु पाँच करोड़ का बजट देकर टेंडर कियाथा। पाँच साल में सर्व पूरा होना है। रिपोर्ट के बाद वाइब्लिटी और फिजिबिलिटी पर निर्भर करेगा की टनल बनेगी या नहीं।
अंतिम रिपोर्ट के आने तक टनल भी एक सपना है। एक बार फिर लोकसभा चुनाव के लिए मतदाता की दहलीज पर सियासी नेता आ पहुचे है वादों और नए सपनों के साथ।