अक्स न्यूज लाइन सिरमौर 01 जून :
प्रदेश अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल ने कहा कि पीएम मोदी देश की आवश्यकता है , मोदी के नेतृत्व में देश आगे बढ़ रहा है।
हिमाचल प्रदेश में चार लोकसभा चुनाव है और छे उपचुनाव है, जो सारे के सारे चुनाव भारतीय जनता पार्टी जीतने वाली है। लोकसभा में चौका और विधानसभा उपचुनाव में छक्का लगा निश्चित है। जनता का मूड मोदी के साथ है।
बिंदल ने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 की चौथी तिमाही में जीडीपी वृद्धि के आंकड़े हमारी अर्थव्यवस्था में मजबूत गति को दर्शाते हैं, जो आगे और भी तेज होने वाली है। देश के मेहनती लोगों के लिए धन्यवाद, जिनकी बदौलत 2023- 24 में विकास दर 8.2 प्रतिशत रही है। यह वृद्धि इस बात का भी उदाहरण है कि भारत वैश्विक स्तर पर सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ जैसा कि मैंने कहा, यह आने वाली चीजों का सिर्फ एक ट्रेलर है।
सरकार की तरफ से शुक्रवार को जारी किए गए वित्त वर्ष 2023-24 और जनवरी-मार्च 2024 तिमाही के आर्थिक आंकड़े प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरफ से अर्थव्यवस्था की नींव मजबूत होने के दावे की तस्दीक करते हैं। पिछले वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक विकास दर 8.2 प्रतिशत रही, जो 2022-23 की सात प्रतिशत से ज्यादा है। जनवरी-मार्च, 2024 में विकास दर 7.8 प्रतिशत रही है जो पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही की 6.2 प्रतिशत से अधिक है। हालांकि, यह चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर 2023) की 8.6 प्रतिशत से कम है। आरबीआई ने एक दिन पहले ही कहा था कि भारत की अर्थव्यवस्था एक दशक तक तेज विकास दर हासिल करने के लिए तैयार है। सांख्यिकी व कार्यक्रम क्रिन्यावयन मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़े इसी तरफ इशारा करते हैं। विकास दर के सभी आंकड़े आइएमएफ, विश्व बैंक सरीखी एजेंसियों के अनुमान से भी ज्यादा हैं। इन्हें फिर से भारतीय इकोनॉमी के लिए अपने अनुमानों में संशोधन करना होगा। ये आंकड़े बताते हैं कि वास्तविक सकल घरेलू उत्पादन (रियल जीडीपी) का आकार वर्ष 2023 24 में 173.82 लाख करोड़ रुपये रहा है, जबकि वर्ष 2022-23 में यह 160.71 लाख करोड़ रुपये था। इस आधार पर 8.2 प्रतिशत की विकास दर हासिल होने की बात कही गई है। जबकि चालू मूल्य पर आधारित जीडीपी (नामिनल) का आकार 296.50 लाख करोड़ रुपये आंका गया है और इसके हिसाब से 9.6 प्रतिशत की विकास दर हासिल की गई है। नामिनल जीडीपी के आकलन में वस्तुओं और सेवाओं की मौजूदा कीमत और महंगाई, ब्याज दरों में बदलाव आदि जैसे मुद्दों को समाहित किया जाता है।