प्रदेश सरकार जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने की दिशा में कर रही है कार्य : मुख्यमंत्री
इस फिल्म उत्सव के दौरान गार्डियन्स ऑफ वैडलैंड्स, वुमेन एज स्टीवडर््स ऑफ कंजरवेशन, ग्रीन रेणुका जी फेयर ए कलेक्टिव एंडेवेर ऑफ रेणुका लेक और म्यूनिसिपल सोलिड वेस्ट अराउंड वैटलैंड्स इन हिमाचल, इनिशिएटिव ऑफ हीलिंग हिमालयाज़ सहित लघु फिल्मों का प्रदर्शन किया जाएगा।
ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार पर्यावरण संरक्षण तथा प्रदेश की नैसर्गिक सुन्दरता और पारिस्थतिकीय तंत्र संतुलन के लिए प्राथमिकता के साथ कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश ने पिछले साल प्राकृतिक आपदा के गहरे ज़ख्मों का सामना किया। आपदा के कारण प्रदेश का हर भाग प्रभावित हुआ। वर्तमान में किन्नौर और लाहौल-स्पिति में अत्याधिक बारिश हो रही है जबकि वहां पहले बारिश नहीं होती थी। कार्बन उत्सर्जन और पर्यावरण में हो रहे बदलावों के फलस्वरूप पृथ्वी के तापमान में वृद्धि हो रही है और ग्लोबल वार्मिंग से पूरी दुनिया प्रभावित हो रही है। उन्होंने कहा कि जनभागीदारी से इस समस्या का समाधान निकाला जा सकता है। प्रदेश सरकार के साथ-साथ लोगों को भी इस जन अभियान से जुड़ने की आवश्यकता है क्यांेकि यह केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की संस्कृति पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी हुई है। उन्होंने पर्यावरण से जुड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए युवाओं को तैयार करने पर बल दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा लक्ष्य हिमाचल को पर्यावरण की दृष्टि से सुन्दर एवं स्वच्छ राज्य बनाना है जिससे प्रदेश में पर्यटन गतिविधियों को भी प्रोत्साहन मिलेगा। हिमाचल को नवीकरणीय ऊर्जा और पर्यटन क्षेत्र के माध्यम से आत्मनिर्भर राज्य बनाने की प्रदेश सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए भी प्रमुखता से कार्य कर रही है। प्रदेश में जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए ई-वाहनों के संचालन को बढ़ावा दिया जा रहा है। कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए कई क्षेत्रों में प्रयास किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने ई-बसें खरीदने के लिए हिमाचल पथ परिवहन निगम को 300 करोड़ रुपये जारी किए हैं। इसके अतिरिक्त, सोलन जिला के नालागढ़ में एक मैगावाट क्षमता की ग्रीन हाइड्रोकार्बन परियोजना का शीघ्र ही शिलान्यास किया जाएगा। प्रदेश सरकार सौर ऊर्जा एवं पवन ऊर्जा का अधिकतम दोहन सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठा रही है और जिला ऊना के पेखूबेला में 32 मैगावाट क्षमता का सौर ऊर्जा संयंत्र कार्यशील किया गया है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश समूचे उत्तर भारत को प्राण वायु प्रदान करता है और सरकार वनों की रक्षा के लिए महिला समूहों को शामिल कर कार्य कर रही है। प्रदेश सरकार ने पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में अनेक कदम उठाए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस प्रकार के फिल्म उत्सव वैटलैंड के महत्त्व और इससे सम्बंधित मुद्दों को प्रदर्शित करते हैं। वैटलैंड और झीलें हमारे समाज और आने वाली पीढ़ियों के अस्तित्व के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। वैटलैंड्स के महत्त्व पर आधारित ये फिल्में युवाओं को इनके संरक्षण के लिए कार्य करने के लिए प्रेरित करेंगी। उन्होंने वैटलैंड्स के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए कार्य करने वाले सभी हितधारकों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि हालांकि वैटलैंड्स पृथ्वी की सतह के 6 प्रतिशत हिस्से को कवर करते हैं, इसके बावजूद दुनिया में पाई जाने वाली लगभग 40 प्रतिशत पौधों और जीव-जन्तुओं की अनके प्रजातियों की यह निवास स्थली है। उन्होंने कहा कि समृद्ध जैव विविधता के अतिरिक्त ये वैटलैंड्स प्रदेश के लोगों को पानी, भोजन और आजीविका उपलब्ध करवाते हैं।
इस अवसर पर मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना, पर्यावरणविद् एवं पीपुल्स साईंस इंस्टीट्यूट के संस्थापक डॉ. रवि चोपड़ा और विषय विशेषज्ञ एवं नालंदा विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर डॉ. सोमनाथ बंदोपाध्याय ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए। हिमकोस्टे के सदस्य सचिव डी.सी. राणा ने मुख्यमंत्री का स्वागत किया।
वैडलैंड्स मनैजमेंट ऑफ बायोडावर्सिटी एंड क्लाईमेट प्रोटेक्शन के परियोजना प्रबंधक कीर्तिमान अवस्थी ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर, मुख्य संसदीय सचिव संजय अवस्थी, विधायकगण सुरेश कुमार, विवेक शर्मा, नीरज नैयर, विनोद सुल्तानपुरी एवं सुदर्शन बबलू, अतिरिक्त मुख्य सचिव के.के पंत एवं औंकार चंद, शिमला के उपायुक्त अनुपम कश्यप और अन्य गणमान्य इस अवसर पर उपस्थित थे।