अक्स न्यूज लाइन नाहन 31 जुलाई :
विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत एनएसटीसी द्वारा संपोषित की जा रही परियोजना “मां और बच्चे की सुरक्षा के लिए विज्ञान,वैज्ञानिक जीवन शैली विकल्पों के लिए जागरूकता अभियान और वैज्ञानिक सोच पैदा करना” के अंतर्गत हिम प्रोडक्टिव सोसाइटी ऑफ़ सोशल वेलफेयर,जौणाजी रोड़, जिला सोलन, हिमाचल प्रदेश द्वारा ग्राम पंचायत देवनी विकास खंड नाहन जिला सिरमौर में माँ और बच्चे की सुरक्षा के लिए वैज्ञानिक जीवन शैली विकसित करने हेतु “विज्ञानं मीडिया प्रशंसा और चयन कार्यशाला” हेतू 25 महिला प्रतिभागियों के लिए पांच दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया I कार्यशाला के। शिविर के प्रथम दिन अतिथि वक्ता अधिवक्ता सुभाष शर्मा ने प्रतिभागियों को महिलाओं एवं छात्राओं के जीवन में मौजूद समस्याओं एवं चुनौतियों जैसे बाल विवाह, बाल श्रम,कन्या भ्रूण हत्या व इसके लिए बने कानूनों की जानकारी दी। उन्होंने कहा की महिलाओं के जीवन में इस तरह की बहुत सारी समस्याएं होती है लेकिन सरकार द्वारा महिलाओं के लिए कानून भी बनाये गए है ताकि इनके हितों की रक्षा की जा सके। उन्होंने कहा कि अगर कोई महिला अपने हक़ के लिए लड़ती है तो उसके लिए मुफ्त अधिवक्ता की व्यवस्था कानून अनुसार सरकार द्वारा की जाती है ताकि उसको न्याय दिलाया जा सके। महिलाओं की भी यह जिम्मेदारी बनती है कि इन कानूनों का सही तरीके से उपयोग किया जाना चाहिए।
कार्यशाला के दूसरे दिन बाल विकास परियोजना नाहन के अंतर्गत वृत्त सैनवाला की पर्यवेक्षिका श्रीमती सरिता राणा द्वारा भारत में बच्चों, महिलाओं एवं बालिकाओं के पोषण की स्थिति पर परिचर्चा एवं पोषण आधारित सरकारी योजनाओं,बालिकाओं में स्कूल छोड़ने के कारण तथा उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु सरकार ने शिक्षा का अधिकार, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, मुख्यमंत्री कन्यादान योजना,शगुन योजना,प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना इत्यादि कल्याणकारी योजनाओं का निर्माण किया है ताकि बालिकाएं अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सकें।
कार्यशाला के तीसरे दिन योगा गाइड हिमानी चौहान ने संतुलित आहार से संबंधित विस्तृत जानकारी प्रदान की। उन्होंने कहा की हमारे आसपास घर द्वार पर ऐसी बहुत सी चीजें है जिनको अपने आहार में शामिल कर हम स्वस्थ जीवन व्यतीत कर सकते है। हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे चलाई,पालक,बाजरा इत्यादि को अपने भोजन में शामिल करना चाहिए ताकि हमारे शरीर को जरूरी पोषक तत्व मिल सके। हिमानी जी ने प्रतिभागियों को बताया कि योग हमारे दिनचर्या का हिस्सा होना चाहिए व हर रोज सुबह हमे योग जरूर करना चाहिए। योगा करने से हमारे शरीर निरोग बना रहता है व महिलाओं में होने वाली काफी सारी बीमारियों को भी ख़तम भी करता है। उन्होंने योग की विस्तृत जानकारी दी व साथ साथ योग के आसन भी सिखाये।
कार्यशाला के चौथे दिन स्वास्थ्य विभाग से डॉ 0 नीना ने प्रतिभागियों को माँ और बच्चे की सुरक्षा के लिए सामुदायिक भागीदारी ,बाल देखरेख पद्धतियों एवं गृह प्रबंधन विषय से संबंधित जानकारी प्रदान की। उन्होंने कहा कि ज्यादातर महिलाओं की सोच होती है की जब तक गर्भधारण किये हुए तीन चार माह न हो जाये तब तक किसी को बताना नहीं चाहिए जबकि एक महिला को चाहिए की गर्भ धारण से पहले पति व पत्नी अपनी जांच अवश्य करवाए ताकि उनके अंदर चल रही बीमारी उनके होने वाले बच्चे में न हो पाए । गर्भधारण होने से पहले डॉक्टर की सलाह अनुसार फोलिक एसिड इत्यादि जरूरी दवाएं शुरू कर देनी चाहिए ताकि होने वाले बच्चे का सम्पूर्ण निर्माण अच्छी तरह हो पाए । गर्भावस्था में होने वाली पहली, दूसरी व तीसरी तिमाही की जाँच अवश्य करवानी चाहिए ताकि उनके होने वाले बच्चे के हो रहे विकास का पता लगाया जा सके ।
कार्यशाला के पांचवे दिन श्री जगत राम जी ने प्रतिभागियों को शिक्षा ,संवाद और सूचना की अवधारणा, भूमिका एवं महत्व पर परिचर्चा विषय पर जानकारी प्रदान की । उन्होंने कहा कि शिक्षा सभी के लिए एक महत्वपूर्ण अंग है जिसका अधिकार सभी को है । संवाद से ही हम अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकते है ,संवाद के माध्यम से हम समाज में पनप रही समस्याओं को उजागर व उनका सामाजिक भागीदारी से समाधान कर सकते है ।
इसके साथ साथ कार्यशाला उपरांत प्रश्नावली के माध्यम से प्रशिक्षण लिया गया जिसमें आशा देवी ने प्रथम, पिंकी देवी ने द्वितीय व सुधा शर्मा ने तृतीय स्थान हासिल किया ।
कार्यशाला के समापन अवसर पर ग्राम पंचायत प्रधान चिंता देवी ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की । सभी प्रतिभागियों को मुख्य अतिथि के कर कमलों से प्रमाण पत्र आवंटित किये गए । प्रश्नावली के माध्यम से लिए गए प्रशिक्षण के विजेताओं को पुरस्कार वितरित किये गए । कार्यशाला के अंत में मुख्य अतिथि द्वारा समापन टिप्पणी करते हुए कहा कि इस तरह के आयोजन होते रहने चाहिए जिससे गांव के लोगों को जानकारी मिलती है । उन्होंने कहा की इन कार्यशालाओं का उद्देश्य समाज में जागरूकता लाना है ताकि सभी महिलाएं अपने अधिकारों से अवगत हो पाए व समाज में बराबरी की भूमिका निभा सके । उन्होंने कहा कि जो विभिन्न विषयों पर विभिन्न प्रकार की जानकारी आपने हासिल की है उसे अपने जीवन में अपनाएं व अपने आस पास अन्य लोगों से भी साझा करें ।