गुर्जर समुदाय ने के न्द्र सरकार से हाटी आरक्षण बिल पर पुनर्विचार क रने लगाई गुहार.......

गुर्जर समुदाय ने के न्द्र सरकार से हाटी आरक्षण बिल पर पुनर्विचार क रने लगाई गुहार.......

अक्स न्यूज   लाइन ..नाहन, 21 अक्तूबर  

जिला सिरमौर के गुर्जर समुदाय ने के न्द्र सरकार से मांग करते हुए गिरिपार क्षेत्र में रहने वाले हाटी समुदाय को सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने वाले कु छ अरसा पहले लागू 
हाटी आरक्षण बिल पर पुनर्विचार क रने गुहार लगाई है। जिला मुख्यालय में बुलाए पत्रकार सम्मेलन में गुज्जर समाज कल्याण परिषद के हेमराज चौधरी उपाध्यक्ष. सोमनाथ भाटिया महासचिव, अनिल गोरसी प्रदेश अध्यक्ष युवा गुर्जर स्वाभिमान संघर्ष समिति व किनशुक गुर्जर  उपाध्यक्ष युवा गुर्जर स्वाभिमान संघर्ष समिति ने बिल का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि यह आरक्षण बिल संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ  है।

जिसके  कारण गुर्जर समेत अन्य जनजातियों के हितों का हनन होगा।  हाटी नाम के किसी समुदाय का कोई ऐतिहासिक, सामाजिक अस्तित्व नहीं है तो फि र उन्हे जनजाति कैसे घोषित किया जा सकता है।

उन्होने कहा कि लोकुर कमेटी के मापदंडों को हाटी समुदाय पूरा नहीं करता और मापदंडों को दरकिनार कर राजनीतिक लाभ के लिये उन्हे एसटी का दर्जा दिया जा रहा है। उन्होने हैरानी जताते हुए कहा कि हाटी जाती या समुदाय रेवेंन्यू या किसी अन्य सरकारी रिकॉर्ड मे दर्ज नहीं है तो फिर हाल ही में आई नोटिफिकेशन को कैसे लागू किया जायेगा। सिरमौर मे उल्टी गंगा बहाई जा रही है अब हाटी नेता कह रहे है कि रेवेन्यू रिकॉर्ड को बदल कर हाटी समुदाय को दर्ज किया जाए जो कि अनैतिक, असंवैधानिक और गैर कानूनी है हम इसका घोर विरोध करते है।

गुज्जर नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार ने जम्मू और कश्मीर में पहाड़ी समुदाय को एसटी में डालने वाले विधेयक को गुज्जर बकरवाल समुदाय के विरोध के बाद वापिस लिया उसी तर्ज पर हिमाचल की  जनजातियों के अधिकारों के संरक्षण के लिए हाटी आरक्षण पर भी पुनर्विचार किया जाये।   मांग करते हुए कहा गया कि  रेवेन्यू रिकॉर्ड मे कोई बदलाव न किया जाए, टीआरटीआई की रिपोर्ट एथनोग्राफिक् डाटा में मौजूद खामियों को पुन: अवलोकन किया जाए और उसमे जो काल्पनिक बातें लिखी गयी है उन्हे हटा कर वास्तविक् तथ्यों के आधार रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।

गिरिपार के क्षेत्र और तथाकथित हाटी समुदाय के पिछड़ेपन का कोई आंकडा न तो ज्त्ज्प् की रिपोर्ट मे है और ना ही राज्य सरकार की सिफारिश मे है। सरकार पिछड़ेपन को मापने के लिए हाई कोर्ट के रिटायर जज के नेतृत्व मे विशेष कमिशन या कमेटी स्थापित कर वास्तविक रिपोर्ट तैयार की जाए। 
समुदाय के वर्तमान कोटे मे कोई छेड़छाड़ नहीं की जाए और वर्तमान के प्रतिशत को यथागत रख इस श्रेणी से बाहर अन्य समुदाय को आरक्षण दिया जाये। 
 

सवर्ण और रसुखदार जातियों को घुमंतू जनजातियों के साथ एक ही श्रेणी में न रखा जाये।  समुदाय के नेताओं ने कहा कि न्याय पाने के लिए यह लड़ाई जारी रहेगी।