हिमाचल का गौरव: कुलदीप गुलेरिया — वो आवाज़ जिसने हिमाचल की संस्कृति को नई पहचान दी

हिमाचल का गौरव: कुलदीप गुलेरिया — वो आवाज़ जिसने हिमाचल की संस्कृति को नई पहचान दी

अक्स न्यूज लाइन  मंडी, 10 नवंबर : 

छोटी काशी मंडी के ऐतिहासिक छोटा पड्डल में आयोजित पाँच दिवसीय मांडव्य उत्सव 2025 में हिमाचल के प्रसिद्ध वरिष्ठ एंकर, पूर्व जिला लोक संपर्क अधिकारी एवं मांडव्य कला मंच के संस्थापक अध्यक्ष कुलदीप गुलेरिया ने अपनी मखमली आवाज़ से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। 5 से 9 नवम्बर तक चली इन पाँचों सांस्कृतिक संध्याओं में गुलेरिया ने अपने प्रभावशाली मंच संचालन से हर शाम को यादगार बना दिया। नगर निगम मंडी द्वारा लगातार दूसरी बार उन्हें इस प्रतिष्ठित उत्सव का एंकर नियुक्त किए जाने की खबर मिलते ही दर्शक स्वतः ही खिंचे चले आए।

कुलदीप गुलेरिया न केवल एक एंकर हैं, बल्कि हिमाचल की लोक संस्कृति के सच्चे रक्षक भी हैं। उन्होंने मंडी की अंतर्राष्ट्रीय शिवरात्रि और कुल्लू के विश्वविख्यात दशहरा जैसे मंचों पर अपनी आवाज़ से लाखों दिलों को जीता है। 

वर्ष 2005 में जब बाहरी शहरों से एंकर बुलाए जाते थे, तब पहली बार उन्होंने जिला लोक संपर्क विभाग की ओर से निःशुल्क सेवाएं प्रदान कर  मंडी जिला  के पहले स्थानीय एंकर होने का गौरव प्राप्त किया। तब से लेकर आज तक उनका यह स्वर्णिम सफ़र निरंतर जारी है।

एक लोक नर्तक, संस्कृति कर्मी और रंगकर्मी के रूप में भी गुलेरिया का योगदान अतुलनीय है। 90 के दशक में उन्होंने गाँव-गाँव जाकर शोध कर मंडी के लुप्तप्राय लोकनृत्य लुड्डी को पुनर्जीवित किया और युवाओं को अपनी संस्कृति से जोड़ने के लिए मांडव्य कला मंच की स्थापना की। इस मंच के माध्यम से आज मंडी की सांस्कृतिक पहचान पूरे भारत में 37 वर्षों से कायम है।

सामाजिक चेतना के क्षेत्र में भी गुलेरिया ने उल्लेखनीय भूमिका निभाई है। साक्षरता अभियान के तहत उन्होंने 10,000 से अधिक स्वयंसेवी कलाकारों को जोड़कर बांठड़ा शैली में 8,000 से अधिक नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किए, जिनसे शिक्षा और जनजागरूकता की लौ घर-घर जली।

उनकी कला यात्रा ने राष्ट्रीय मंचों पर भी अनेक उपलब्धियाँ हासिल की हैं — 7 राष्ट्रीय युवा समारोह, 3 अखिल भारतीय फोक थियेटर फेस्टिवल, 2 राष्ट्रीय थियेटर फेस्टिवल और 5 राष्ट्रीय शरद महोत्सवों में भाग लेकर उन्होंने 4 बार सर्वश्रेष्ठ दल का ख़िताब जीता। 2023 में उन्होंने 15,000 कलाकारों में से चयनित होकर कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस परफॉर्मेंस देकर इतिहास रचा।

कुलदीप गुलेरिया आज सिर्फ़ एक एंकर नहीं, बल्कि एक संस्था हैं — वो स्वर, जिसने हिमाचल की लोक संस्कृति को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया है।