होटलों-ढाबों में प्रयोग हो चुके खाद्य तेल से हो सकती है आय
इस अवसर पर उपायुक्त ने कहा कि खाद्य तेल को बार-बार गर्म करना तथा इसे बार-बार तलाई के लिए प्रयोग करना स्वास्थ्य के लिए घातक साबित हो सकता है। खाने में इस तरह के तेल के प्रयोग से कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। इसलिए, सभी होटलों, ढाबों और अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठानों में इसका विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए।
उपायुक्त ने कहा कि दुकानदार इस बचे हुए तेल को दोबारा प्रयोग करने या जहां-तहां फेंकने के बजाय इसको स्टोर करके रखें। वे इसे बेचकर भी आय अर्जित कर सकते हैं तथा इस तेल से बायोडीजल बनाया जा सकता है। उन्होंने खाद्य सुरक्षा एवं मानक विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे इस तेल की कलेक्शन के लिए चयनित बद्दी की फर्म से समन्वय स्थापित करें। अगर यह फर्म हमीरपुर से तेल की कलेक्शन के लिए नियमित रूप से अपनी गाड़ी या अन्य वाहन की व्यवस्था नहीं करती है तो अन्य विकल्पों पर भी विचार करें, ताकि जिले के व्यापारिक प्रतिष्ठानों से हर हफ्ते या महीने में कम से कम एक-दो बार तेल को वापस खरीदा जा सके। उपायुक्त ने बताया कि यह तेल 30 रुपये प्रति लीटर या इससे अधिक कीमत पर बिक सकता है।
उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे तेल की खरीद के संबंध में जिला के सभी संबंधित व्यावसायियों को जागरुक करें और इसके लिए एक व्हाट्सऐप गु्रप भी बनाएं।
बैठक में खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग के जिला नियंत्रक अरविंद शर्मा ने तेल की कलेक्शन की व्यवस्था के संबंध में विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की। खाद्य सुरक्षा अधिकारी मधु, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सहायक अभियंता प्रदीप मोदगिल, अन्य अधिकारियों तथा स्थानीय व्यावसायियों ने भी महत्वपूर्ण सुझाव रखे। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने प्रतिबंधित सिंगल यूज प्लास्टिक के उत्पादों के प्रति भी व्यावसायियों को जागरुक किया।