हिंदू धर्म में देवी देवताओं में सबसे ज्यादा श्री कृष्ण की महिमा
अक़्स न्यूज लाइन, नाहन -- 25 अगस्त
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय नाहन में कृष्ण जन्माष्टमी के त्यौहार पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर बहन कुंजना सिंह ने उपस्थित सभी भाई बहनों को कृष्ण जन्माष्टमी की बधाई देते हुए अपने कुछ अनुभव साँझा किये। केंद्र की संचालिका बी के रमा दीदी जी ने भी कार्यक्रम में आए सभी भाई बहनों को कृष्ण जन्माष्टमी के पर्व की शुभकामनाएं दी और कहा कि श्री कृष्ण जन्म से ही इतने महान थे तो अवश्य उन्होंने पूर्व जन्म में कोई महान पुण्य किया होगा जिससे ही उन्होंने सर्वश्रेष्ठ देव पद तथा राज्य भाग्य प्राप्त किया था। श्री कृष्ण को योगीराज भी कहते हैं।वो इतने महान् कैसे बने ? श्री कृष्ण जन्म से ही महान थे क्योंकि श्री कृष्ण की आत्मा और शरीर दोनों पवित्र है उनकी तरहं हमें अपने मन को भी शुद्ध और पवित्र बनाना होगा।
उन्होंने कहा कि श्री कृष्ण जी में 64 से ज्यादा गुण थे। वह गुणों के धनी थे। बी के दीपशिखा दीदी ने जन्माष्टमी का आध्यात्मिक रहस्य बताते हुए कहा कि हिंदू धर्म में देवी देवताओं में सबसे ज्यादा श्री कृष्ण की महिमा होती है। उनके हर एक अंग की प्रशंसा कमल के समान करते हैं। इसका अर्थ है उनका हर करम दिव्य था । वह इतनी दिव्य व श्रेष्ठ आत्मा थी कि आज इस दुनिया में वह आ नहीं सकती। अगर उनके राज्य में हमको आना है,तो उनके जैसा बनना होगा । वह 16 कला संपूर्ण थे। हमें केवल श्री कृष्ण के गायन में ही मगन नहीं होना है बल्कि उनके साथ संस्कार के मिलन की रास मनानी होगी।
हमें जन्माष्टमी पर इस व्रत को धारण करना है कि हमें उनके जैसा बनना है । बी के शिवानी बहन ने कृष्ण प्रेम पर एक गीत प्रस्तुत किया और कहा कि हम संकल्प लें कि हम भी श्री कृष्ण की तरहं सर्वगुण संपन्न बने और उसी देवी राज्य में उनके साथ आयें। इसका प्रमाण है कि हम आज भी अपने नाम के पीछे देवी लगाते हैं । बी के प्रियंका बहन ने उपस्थित सभी भाई बहनों को कृष्ण जन्माष्टमी की बधाई दी एवं साथ ही (पूर्व मुख्य प्रशासिका ब्रह्माकुमारी) राजयोगिनी दादी प्रकाशमणि जी के
17 वें पुण्य समृद्धि दिवस को विश्व बंधुत्व दिवस के रूप में मनाया गया। बी के रमा दीदी जी ने उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि ब्रह्मा बाबा के अव्यक्त होने पर दादी जी ने संपूर्ण मानवता की सेवा करते हुए एक विशाल आध्यात्मिक संगठन को साथ लेकर विश्व सेवा का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया। उनका जीवन मानव मात्र के लिए अनुकरणीय है। शांति की पताका फहराने के लिए दादी प्रकाशमणि जी को अंतर्राष्ट्रीय शांतिदूत पुरस्कार से नवाजा गया।
उन्होंने विभिन्न जाति,वर्ग, रंगभेद को दूर करने के लिए मानवता में विश्व बंधुत्व एवं वसुधैव कुटुंबकम् की भावना को जगाने के लिए आत्मिक एवं प्रभु संतान की स्मृति दिलाई तथा परमात्म अवतरण के ईश्वरीय संदेश को अल्प समय में संपूर्ण विश्व के क्षितिज पर गूंजायमान किया। वह सदा परमात्म प्यार में मगन रहती थी। उन्हें सदा यही स्मृति रहती कि यह जीवन परमात्मा की देन है और इसे मानव कल्याणार्थ लगाना है।
यह जीवन ही अंतिम यात्रा है इसलिए हमें सदैव व्यर्थ से मुक्त रहना है। उन्हें 1985 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने अंतरराष्ट्रीय शांति पदक से नवाजा एवं राजस्थान के तत्कालीन राज्यपाल एम चन्ना रेड्डी ने नोएडा डॉक्टरेट उपाधि दी। उनकी उपलब्धियों को देखकर संयुक्त राष्ट्र संघ ने सन् 1987 में एक अंतरराष्ट्रीय तथा पांच राष्ट्रीय स्तर के "शांतिदूत" पुरस्कार प्रदान कर उन्हें सम्मानित किया।कार्यक्रम के अंत में प्रियंका बहन ने "हे गोपाल कृष्ण करूं आरती तेरी साक्षी ने " यही मन में बाबा है हर पल हमारे " अंजना शर्मा ने "फ़ूलों में सज रहे हैं मेरे वृंदावन बिहारी" बहुत सुन्दर गीत प्रस्तुत किया। आर्यन, वंशिका,कमलेश, बबीता ने राधा कृष्ण पर नृत्य किया। इस कार्यक्रम में नाहन व आसपास से आये अनेक लोग मौजूद रहे।