सोलन में हार निश्चित देखकर संविधान की धज्जियां उड़ा रही है सरकार: जयराम ठाकुर
अक़्स न्यूज लाइन, शिमला --18 अगस्त
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि सोलन मेयर के चुनाव की प्रक्रिया में वोटिंग करने के बाद पार्षदों द्वार ऑब्ज़र्वर को वोट दिखाने का नियम बनाना पूरी तरह से असंवैधानिक है। कांग्रेस अपनी हार देखकर तानाशाही पर उतर आई है। चुनाव की प्रक्रिया के दौरान ही नए-नए नियम बनाकर चुनाव को प्रभावित करना चाहती है। जब पहले से वोटिंग की प्रक्रिया को गोपनीय किया गया था तो उस नियम को बदलने का औचित्य क्या है। यह सिर्फ़ चुनाव में भाग लेने वाले पार्षदों को डराने-धमकाने के लिए किया जा रहा है। सरकार द्वारा इस तरह से असंवैधानिक नियम बनाने से यह साफ़ हो गया है कि यह चुनाव कांग्रेस हार रही है। इसी तरह कांग्रेस ने राज्यसभा के चुनाव में भी कांग्रेस द्वारा असंवैधानिक रूप से व्हिप जारी कर दिया था, जिसे भाजपा के विरोध के बाद सरकार द्वारा इधर उधर की बातें की गई थी।
जयराम ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस पूरे देश में संविधान की किताब लेकर घूम रही है लेकिन जहां सरकार वहां सत्ता के दम पर धड़ल्ले से संविधान की धज्जियां उड़ा रही है। मेयर के चुनाव में हार की पहले भी हार हो चुकी है। इस बार हार आसन्न देखकर कांग्रेस ने तानाशाही अपनानी शुरू कर दी है। चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, प्रक्रिया शुरू होने के बाद किसी भी प्रकार के नियम नहीं बदले जा सकते हैं। यह सुप्रीम कोर्ट के नियमों का उल्लंघन है। सत्ता के दम पर सुक्खू सरकार अब लोकतंत्र को हाईजैक करना चाहती है। भाजपा सरकार की यह तानाशाही सहन नहीं करेगी। सुक्खू सरकार द्वारा बनाए गये नियम क़ानून के ख़िलाफ़ हैं। इसलिए सरकार इस तरह की हरकतों से बाज आए।
जयराम ठाकुर ने कहा कि सोलन नगर निगम में पार्षदों के तीन पद ख़ाली हैं, जिसमें से दो पार्षद अयोग्य घोषित किए गए जबकि एक पार्षद का स्वर्गवास हो गया है। मेयर के चुनाव करवाने से पहले ही तीनों रिक्त पदों का चुनाव करवाया जाना चाहिए, जिससे मेयर के चुनाव में सभी पार्षदों की सहभागिता हो सके। लेकिन सरकार की तानाशाही के आगे लोकतांत्रिक तौर-तरीक़े सब महत्वहीन हो गए हैं। सिर्फ़ सरकार अपने तानाशाही तरीक़े से ही लोकतंत्र को चलाना चाहती है लेकिन उन्हें यह समझना चाहिए कि सरकार की तानाशाही के दिन अब लद गए हैं। भाजपा लोकतांत्रिक मूल्यों की अनदेखी को कभी बर्दाश्त नहीं करेगी। तांशाई के ख़िलाफ़ सदन से सड़क तक संघर्ष करेगी।