हिमाचल के सेब बागवानों को बर्बाद करने पर तुली केंद्र सरकार : भंडारी
अक्स न्यूज लाइन शिमला 21 अप्रैल :
हिमाचल प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष निगम भंडारी ने कहा है कि केंद्र सरकार निरंतर आयात शुल्क में कमी कर हिमाचल प्रदेश के सेब बागवानों को बर्बाद करने पर तुली है। उन्होंने कहा कि आयात शुल्क घटने से विदेश सेब का आयात बढ़ रहा है, जिससे हिमाचली सेब का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में सेब की आर्थिक 5000 करोड़ रुपए से ज्यादा की है और लाखों परिवार इस कारोबार से प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से जुड़े हैं। किसान लगातार आयात शुल्क को 100 फीसदी करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार इसे लगातार घटा रही है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।
हिमाचल प्रदेश युवा कांग्रेस ने कहा कि सस्ते विदेशी सेब के कारण इस बार कोल्ड स्टोर में सेब रखने वाले बागवानों को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि विदेशी सेब के कारण कोल्ड स्टोर का इस्तेमाल करने वाले बागवानों को 800-1200 रुपए प्रति पेटी का नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि अमेरिका, ईरान, अफगानिस्तान, न्यूजीलैंड, चिली, ब्राजील जैसे देशों से सेब आयात बढ़ रहा है। दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार क्षेत्र होने से बिना शुल्क चुकाए अफगानिस्तान के रास्ते ईरानी सेब भारत पहुंच रहा है। ऐसे में कम लागत में ईरानी सेब के भारत पहुंचने से हिमाचली सेब नहीं टिक पा रहा है और अच्छे दाम नहीं मिल पाते। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो इससे हिमाचल की सेब अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो जाएगी और इस कारोबार से जुड़े लाखों लोग बर्बाद हो जाएँगे।
निगम भंडारी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वर्ष 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान विदेशी सेब पर आयात शुल्क बढ़ाने और सभी प्रकार के कोल्ड ड्रिंक्स में 5 प्रतिशत सेब का कंस्ट्रेट मिलाने का वादा किया था। लेकिन, केन्द्र सरकार ने इसके विपरीत विदेशी सेब पर आयात शुल्क घटाया है, जिससे हिमाचल के सेब की मांग कम हो रही है और बागवानों को नुक्सान उठाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि एक ओर प्रधानमंत्री वोकल फॉर लोकल की बात करते हैं, वहीं दूसरी ओर पर इसे धरातल पर लागू नहीं किया जा रहा है, बल्कि उल्टे विदेशी सेब को प्रमोट कर हिमाचली सेब बागवानों की कमर तोड़ने का काम किया जा रहा है। भंडारी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में 5 लाख से अधिक बागवान सीधे तौर पर सेब बागवानी से जुड़े हुए हैं और प्रदेश में हर साल लगभग 4 करोड़ सेब की पेटियों के उत्पादन से 5 हजार करोड़ रुपए का कारोबार होता है। ऐसे में सेब के आयात शुल्क कम होना हिमाचल प्रदेश के इन पांच लाख परिवारों के हित में नहीं है।