मानसिक विकारों से बचने के लिए स्वस्थ जीवन शैली अपनाएं किशोर : सीडीपीओ

उन्होंने कहा कि इस उम्र में प्रतिकूल परिस्थितियों से सामंजस्य स्थापित करने, साथियों के साथ तालमेल बिठाने और स्वयं की पहचान बनाने का दबाव तनाव को जन्म देता है। यही तनाव कई बार मानसिक विकारों का कारण बन जाता है। तेजी से बदलती टेक्नोलॉजी, सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव और कठिन होती प्रतिस्पर्धा ने इस स्थिति को और भी जटिल बना दिया है।
इस अवसर पर विशेष रूप से उपस्थित मनोविज्ञानी शीतल वर्मा ने स्मार्टफोन के अत्यधिक और अनियंत्रित उपयोग पर अंकुश लगाने और डिजिटल डीटॉक्सिफिकेशन पर जोर देते हुए किशोरों से स्क्रीन टाइम को सीमित करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा की स्मार्टफोन के बढ़ते उपयोग के कारण युवा सामाजिक अलगाव और अकेलेपन का शिकार हो रहे हैं। सोशल मीडिया पर दिखाए जाने वाले नकारात्मक समाचार, आपत्तिजनक टिप्पणियां और हिंसक घटनाएं किशोरों में डिप्रेशन और एंग्जायटी को जन्म देते हैं जो आगे चलकर विभिन्न मानसिक विकारों का कारण बनते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को स्वस्थ आहार लेने, सक्रिय जीवन शैली अपनाने, परस्पर संवाद करने, संगीत और खेलकूद जैसी क्रियाओं में हिस्सेदारी और हर काम को छोटे-छोटे लक्ष्यों में बांट कर करने का सुझाव दिया। उन्होंने किशोरों को श्वास, योग और ध्यान क्रियाओं के माध्यम से तनाव को कम करने और स्वयं पर नियंत्रण रखने का भी अभ्यास कराया।