गौशालाएं आर्थिक संकट में : तीन माह से नहीं मिली सहायता राशि

गौशालाएं आर्थिक संकट में : तीन माह से नहीं मिली सहायता राशि

अक्स न्यूज लाइन पांवटा साहिब 13 जून : 


हिमाचल प्रदेश में बेसहारा गौवंश की देखभाल करने वाली गौशालाएं इस समय गहरे आर्थिक संकट से जूझ रही हैं। सरकार द्वारा पिछले तीन महीनों से कोई वित्तीय सहयोग न मिलने से न केवल इन गौशालाओं के संचालन में दिक्कतें आ रही हैं, बल्कि गौसेवकों में भी भारी रोष व्याप्त है। शनिवार को पांवटा साहिब में कई गौसेवकों ने एकजुट होकर उपमंडल अधिकारी (एसडीएम) के माध्यम से मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को ज्ञापन सौंपा और जल्द राहत की मांग की।


 25 हजार गौवंश पर मंडरा रहा संकट 
गौसेवक सचिन ओबेरॉय ने बताया कि प्रदेशभर में करीब 25,000 बेसहारा गौवंश हैं, जिनकी देखभाल स्वयंसेवी संस्थाएं कर रही हैं। केवल पांवटा साहिब क्षेत्र में ही सात सक्रिय गौशालाएं हैं, लेकिन उन्हें न तो पूर्व निर्धारित ₹700 प्रति पशु की सहायता राशि मिल रही है और न ही अप्रैल 2025 से घोषित ₹1,200 प्रति पशु की नई सहायता लागू की गई है। इससे चारा, दवाइयों और दैनिक देखभाल के खर्चों को पूरा करना बेहद कठिन हो गया है।


 गौसेवकों की चेतावनी—बंद हो सकती हैं गौशालाएं 
सचिन ओबेरॉय ने कहा, "सरकार केवल घोषणाएं करती है, ज़मीनी स्तर पर कोई ठोस मदद नहीं मिल रही। अगर इसी तरह स्थिति रही तो कई गौशालाएं मजबूरी में बंद करनी पड़ सकती हैं।" उन्होंने आगाह किया कि इससे प्रदेशभर में आवारा पशुओं की समस्या और विकराल रूप ले सकती है।


स्थायी तंत्र बनाने की उठी मांग
ज्ञापन में गौसेवकों ने मांग की है कि सरकार जल्द से जल्द लंबित भुगतान जारी करे और स्थायी आर्थिक सहयोग तंत्र बनाए ताकि भविष्य में गौशालाएं ऐसे संकट का शिकार न हों। उन्होंने यह भी आग्रह किया कि ग्राम पंचायतों और स्थानीय निकायों को भी इस कार्य में भागीदार बनाया जाए। ज्ञापन देने वाले गौसेवक में सतीश गोयल, टोकियों गौशाला, नाहन रोड़, अनूप अग्रवाल , माजरा गौशाला, सचिन ओबराॅय, बहराल गौशाला, अजय संसरवाल, मयंक महावर, वैभव गुप्ता, राकेश शर्मा, हेमंत शर्मा, निखिल शर्मा, दिनेश कुमार (अधिवक्ता), शशिपाल चौधरी (अधिवक्ता) शामिल रहे।