सरकारी को 9.50 करोड़ का चूना लगाने वाले अधिकारी के खिलाफ विभागीय जांच शुरू
सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाने पर आबकारी एवं कराधान विभाग के एक आला अधिकारी के खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी गई है। एसएस लाइफ साइंस नाम की एक फर्जी कंपनी ने जनवरी 2020 में प्रदेश के 40 फार्मा उद्योगों से मिलकर 25 करोड़ के जीएसटी फर्जीवाड़े का मामला उजागर हुआ था।
इस दौरान तत्कालीन संयुक्त निदेशक ने इन फार्मा उद्योगों पर शिकंजा कसा और 7 करोड़ रुपये सरकारी खजाने में जमा हुए। इस मामले में एक रोचक मोड़ उस समय आया, जब विभाग के आयुक्त यूनुस खान के संज्ञान में आया कि चार फर्मों के खिलाफ की जा रही कार्रवाई को एक अधिकारी की ओर से निरस्त कर दिया गया।
आयुक्त ने मामले की जांच के लिए एक उच्च अधिकारियों की टीम का गठन किया। टीम ने अपनी जांच रिपोर्ट में खुलासा किया कि इन चार मामलों में उच्च अधिकारी के आदेश पूरी तरह से अवैध हैं। इससे सरकारी खजाने को 9.50 करोड़ रुपये का चूना लगा है।
भले ही अब नई सरकार के सामने यह चुनौती है कि उक्त अधिकारी जिसके विरुद्ध संगीन मामले में विभागीय जांच चल रही है, उसे उच्च पद पर कैसे रखा जा सकता है।
उधर, आबकारी एवं कराधान विभाग के प्रधान सचिव सुभाष पांडा ने बताया कि सरकार ने इस मामले में कड़ा संज्ञान लेते हुए उक्त अधिकारी के खिलाफ सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाने के लिए विभागीय जांच बैठा दी गई है। जांच पूरी होने पर यदि वह दोषी पाया जाता है तो नियमों के तहत कार्रवाई होगी।