श्रीरेणुकाजी प्रोजेक्ट की सेकेंड स्टेज की फोरेस्ट क्लीयरेंस को केंद्र की शर्त, दोबारा होगी पेड़-पौधों की गिनती
बहु-उद्देश्यीय श्री रेणुकाजी बांध परियोजना को पर्यावरण एवं वन मंत्रालय भारत सरकार द्वारा सेकंड स्टेज की फोरेस्ट क्लीयरेंस शर्तों के आधार पर मिली है। शर्तों के अनुसार 1818 हेक्टेयर वन भूमि को उपलब्ध करवाकर भी ऊर्जा निगम को इतनी ही हेक्टेयर भूमि में कंपनसेटरी वनीकरण करना होगा।
अब वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने ऊर्जा निगम को बांध की जद में आ रही 909 हेक्टेयर भूमि में पेड़-पौधों की दोबारा गणना कर स्टेटस फाइल करने के निर्देश दिए हैं। उसी के बाद सेकंड स्टेज की फोरेस्ट क्लीयरेंस का रास्ता साफ हो पाएगा। वर्ष 2024 तक सेकंड स्टेज की फोरेस्ट क्लीयरेंस को हिमाचल प्रदेश ऊर्जा निगम द्वारा पूरा किया जाना है।
यानी रेणुकाजी बांध परियोजना की तमाम औपचारिकताओं व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा एक वर्ष पूर्व बांध का शिलान्यास के बाद सेकंड स्टेज की फोरेस्ट क्लीयरेंस कंडीशनल मिली है। इसके लिए पर्यावरण एवं वन मंत्रालय भारत सरकार ने 2024 तक सेकंड स्टेज की वन स्वीकृति के लिए अवधि तय की है।
बता दें कि रेणुकाजी बांध परियोजना में 909 हेक्टेयर वन भूमि बांध की जद में आ रही है, जबकि 134 हेक्टेयर वन भूमि निजी क्षेत्र की है। गौर हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गत वर्ष 27 दिसंबर को रेणुकाजी बांध परियोजना का ऑनलाइन शिलान्यास किया गया था, जिसके बाद 1058 करोड़ की राशि बांध प्रबंधन को मिली थी।
जिसमें 528 करोड़ की राशि वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को तय नियम के अनुसार कैम्पा के तहत जमा करवाई गई। वहीं, शेष 500 से अधिक करोड़ की राशि को अदालतों के फरमान के मुताबिक बांध प्रभावितों को भूमि का मुआवजा बढ़ाकर देने के निर्देशानुसार कोर्ट में जमा करवाया गया है।
उधर, हिमाचल प्रदेश ऊर्जा निगम के महाप्रबंधक एमके कपूर के अनुसार ऊर्जा निगम सेकंड स्टेज की वन भूमि की क्लीयरेंस के लिए जुलाई, 2023 तक लक्ष्य तय कर क्लीयरेंस प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। जबकि जनवरी, 2024 तक वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने इसकी अवधि तय की है।