यह कैसा आपदा प्रबंधन: फील्ड में शिक्षक भी नदी नाले पार कर स्कुलों में आता है..सरकार अपने फैसले पर पुनर्विचार करे..

यह कैसा आपदा प्रबंधन: फील्ड में शिक्षक भी नदी नाले पार कर स्कुलों में आता है..सरकार अपने फैसले पर पुनर्विचार करे..

अक्स न्यूज लाइन नाहन  01 सितम्बर :

आपदा में जब स्कूल ही बन्द है तो शिक्षक बिना छात्रों के क्या करँगे,खासतौर से फील्ड के स्कुलों में नदी नाले पार करके तो शिक्षक भी जानजोखिम में डाल कर स्कुल आ रहे है । ऐसे में सवाल यह उठता है कि यह कैसा आपदा प्रबंधन है । 
 
आपदा के दौरान बहुत से क्षेत्रों में बत्ती गुल होती फील्ड के स्कूलों में न लाइट, न इंटरनेट काम करता है ऐसे में कौन सा ऑनलाइन काम हों सकता है शिक्षा विभाग के अफसर कब समझेंगे इन मुश्किलों को.. शिक्षकों को स्कूलों में बुलाने के आदेशों का शहरी क्षेत्रों में भले ही मुश्किलें कम नजर आती हो लेकिन फ़ील्ड में आपदा के कारण आवागमन खतरों भरा ही है

स्कुलों के छात्रों की बारिश के दौरान छुट्टी से हो रहे नुकसान की भरपाई पूर्व की भांति स्कुलों में एक्स्ट्रा क्लास लगा कर पूरा किया जा सकता है। आपदा के दौरान में स्कुलों में अवकाश के चलते शिक्षकों को बुलाने के आदेशों कुछ अरसा पहले ही दिये गए थे। इससे पहले आपदा प्रबंधन के दौरान शिक्षकों व छात्रों  सभी की छुट्टी रहती थी।

बहुत से लोग व अन्य विभागों के कर्मचारियों के यह भी तर्क रहता है कि जब अन्य कर्मचारी आपदा में ड्यूटी जाते हैं तो शिक्षकों क्यों नहीं,जवाब यह है कि  स्कूलों को सुरक्षा की दृष्टि से बन्द किया जाता है स्कुल हर पंचायत में है, गांव गांव में है। जबकि विभागों के दफ्तर तय स्थानों पर होते है और स्कुलों की तुलना में संख्या में भी कम है।

 आज भी जिला प्रशासन ने शिक्षकों की छुट्टी का सही फैसला लिया लेकिन देर कर दी बहूत से तो शिक्षक तो स्कुल भी पहुंच गए, कुछ रास्ते मे जब सूचना मिली तब बस से उतरे,भारी बारिश में वापस लौटे ,कुछ रास्ते पैदल भटक रहे होंगे। अफसरशाही को इस ओर भी गौर करना चाहिए..