वोकेशनल टीचर्स अपनी मांगों को लेकर संवाद चाहते ....विवेक शर्मा

वोकेशनल टीचर्स अपनी मांगों को लेकर संवाद चाहते ....विवेक शर्मा

अक्स न्यूज लाइन  सोलन ,12 नवम्बर :
 सरकार से संवाद भी संभव नहीं। भाजपा प्रवक्ता विवेक शर्मा ने सरकार की असंवेदनशीलता पर कड़ा प्रहार करते हुए का
बेहद दुर्भाग्यपूर्ण सड़क पर बैठे हुए आउटसोर्स कर्मचारी को संवाद के लिए या तो विशेष समुदाय का टैग लगवाना होगा या आंदोलन को सक्रिय रखने के लिए किसी विदेशी ताकत का पैसा लगवाना होगा। तभी कांग्रेस सरकारे संवाद के लिए आमंत्रित करती हैं।

वोकेशनल टीचर्स अपनी मांगों को लेकर संवाद चाहते हैं यथासंभव जो हो सकता है या जो नहीं हो सकता दोनों परिस्थितियों में सरकार को संवाद के लिए आगे आना चाहिए यही लोकतंत्र है। रोहित ठाकुर शिक्षा मंत्री का यह बयान मैं प्रातः 9:00 बजे कार्यालय में आ जाता हूं कोई भी मिलने आ सकता है लोकतंत्र में अविश्वास की परिभाषा उत्पन्न करता है। झूठ परोसने व वोट मांगने तो कांग्रेस भी घर-घर  गई थी। और यही वोकेशनल अध्यापक 4 अक्टूबर को शिक्षा मंत्री कार्यालय में आए थे और शिक्षा मंत्री ने 30 अक्टूबर तक उनकी समस्या के समाधान का आश्वासन दिया था। 2022 के चूनावो से पूर्व तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री अनेक मंचों से कहते थे। हम आउटसोर्स व कॉन्ट्रैक्ट प्रथा समाप्त करेंगे हम रोजगार के साधन सरल  रूप से उपलब्ध कराएंगे लेकिन प्रदेश में आए दिन हो रहे आंदोलनों मे चाहे विद्यार्थी अपना रिजल्ट लेने आ रहे हो या रिजल्ट के पश्चात रोजगार लेने आ रहे हो या नियुक्ति पत्र सभी के साथ अमानवीय व्यवहार क्यों, दो माह पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा था यह प्रदेश आंदोलन का प्रदेश है और हमारी राजनीतिक परवरिश व पैदाइश भी आंदोलन से हुई है लेकिन प्रथम दृष्टिगत व्यवस्था परिवर्तन हठ, अहंकार वह अज्ञानता का दर्पण दिखता है

आउटसोर्स वोकेशनल शिक्षक 2174 है । व प्रदेश के 88000 बच्चों के प्रति उत्तरदाई हैं। यह प्रदेश के शिक्षित युवा है जिन्होंने शिक्षा को ही अपना रोजगार माना है। और शिक्षा एक क्रांति है और आजकल के क्रांतिकारी लाल झंडा व्यापारी हर जगह खड़े दिखते हैं।  लेकिन वह प्रजाति आजकल कहां लुप्त है यह भी एक बड़ा प्रश्न है। प्रदेश में समोसा कांड की जांच कर रही पुलिस सड़क पर बैठे आउटसोर्स कर्मचारी को खाना खाने वह बनाने से भी रोक रही है। मंत्रियों के साथ छाता लेकर चलने वाले अधिकारी इन कर्मचारियों को शरद रात्रि में सर ढकने के लिए टेंट लगाने की अनुमति भी नहीं दे रहे। कार्यक्रम में मंचों के पीछे अस्थाई शौचालय बनाने वाली सरकारी व्यवस्था यहां पर महिलाओं को शौचालय भी उपलब्ध करवाने में असमर्थ साबित हो रही है
शीतकालीन रात्रि में सड़क पर बैठे हुए आउटसोर्स  कर्मचारी सरकार की प्राथमिकता ना हो, लेकिन प्रदेश के नागरिक होने के नाते इस प्रदेश के वोटर होने के नाते भारत के नागरिक होने के नाते क्या वह संवाद की प्राथमिकता के योग्य भी नहीं बड़ा प्रश्न यही है