अक्स न्यूज लाइन सोलन 24 फरवरी :
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता विवेक शर्मा ने कहा आर्थिक कुप्रबंधन से जूझ रही प्रदेश सरकार ने युक्तिकरण को बनाया है हथियार। लेकिन इसके प्रहार से आघात हो रहा है प्रदेश की जनता का विश्वास। मुख्यमंत्री आर्थिक उदारवादी बनना चाहते हैं। गत दो वर्षों से खाली पदों को समाप्त करके युवाओं के साथ जो आघात किया है उसी उदारवादिता से प्रदेश में भिन्न-भिन्न मंत्रालयों के अंतर्गत आने वाले 45 से अधिक चेयरमैन व डिप्टी चेयरमैन के खाली चल रहे पदों को समाप्त क्यों नहीं करती, प्रदेश सरकार। प्रशासनिक अधिकारी उन पदों पर नियुक्तियों ना होने के कारण मौज लूट रहे हैं। उन संस्थाओं के संसाधनों का उपयोग अपनी सुविधाओं के लिए कर रहे हैं। अधिकारी मुख्यमंत्री की असफल योजनाओं की मौज अपनी सुविधाओं और अपने परिवार की सुविधाओं के लिए उपयोग कर रहे हैं।
प्रदेश की वित्तीय स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के पद का युक्तिकरण क्यों नहीं करती कांग्रेस सरकार। ट्रेज़री की हालत को देखते हुए पी डब्ल्यू डी मंत्रालय व जल शक्ति मंत्रालय का युक्तिकरण क्यों नहीं करती प्रदेश सरकार। विभागों के मंत्री भंडारे जागरण करवा रहे हैं। दोनों विभागों के कर्मचारी खाली बैठे हैं ना पिछली पेमेंट हो रही है और ना नई डी.पी.आर बना रही है। स्वास्थ्य हो या शिक्षा मंत्रालय युक्तिकरण कर के सेवा विभाग क्यों नहीं बनाते। प्रदेश को 12 से 6 मंत्रियों पर लाए मुख्यमंत्री, तो प्रदेशवासियों को भी लगे की सरकार और वह बराबर के भागीदार हैं। केवल प्रदेश की जनता को प्रताड़ित करना, कभी स्कूल बंद कर देना, कभी जल शक्ति विभाग की स्कीमें बंद कर देना, कभी तहसील ,तो कभी अस्पतालों का बंद करना युक्तिकरण नहीं है मंद बुद्धी करण है। वैसे भी कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर युक्तिकरण की तरफ बढ़ रही है जिसका रुझान दिल्ली चुनाव में देखने को मिला है। इससे पहले प्रदेश के कांग्रेस विधायक सुक्खू सरकार का व्यवस्था परिवर्तन करके युक्तिकरण कर दें ,आगामी सत्र में बेहतर होगा प्रदेश सरकार ,जनता के प्रति उत्तरदाई होकर कार्य करें ।
प्रदेश सरकार आगामी विधानसभा सत्र में बजट के साथ-साथ मंत्रालयों व मंत्रालयों के अधीन आने वाले डिप्टी चेयरमैन के युक्तिकरण की योजना लाए और इन विभागों के संसाधनों का दोहन करने वाली अधिकारियों की फौज पर अंकुश लगाए। अपनी कार्य पद्धति को पारदर्शिता से जनता के समक्ष रखें। प्रदेश की जनता को यह जानने का अधिकार है कि उनके टैक्स और उनके संस्थाओं द्वारा दिए गए विभिन्न टैक्सों का उपयोग कहां हो रहा है। प्रदेश में छोटे कर्मचारियों को एक ओर बच्चों की किताबें और स्कूल फीस देने के लिए उधार लेना पड़ रहा है, तो दूसरी और सेवानिवृत कर्मचारियों को पेंशन के अभाव में दवाइयां उधार लेनी पड़ रही है। अपितु आई.ए.एस अधिकारी की धर्म पत्नी अधिकारी बनकर बोर्ड व निगमों की गाड़ियों में हरा धनिया खरीदने जा रही है तो कहीं अधिकारियों के बच्चे विद्यालयों में छोड़ने व लाने के लिए चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के साथ गाड़ियां उपयोग में ला रहे हैं। यह व्यवस्था परिवर्तन नहीं अव्यवस्था परिवर्तन है।