वार्षिक परीक्षा सिर पर,और टीचर ट्रेनिंग में - प्राथमिक स्कु लों में सीमित स्टाफ के चलते समस्या गंभीर
अक्स न्यूज लाइन -- नाहन, 27 फरवरी 2023
सूबे में स्कूल शिक्षा बोर्ड की वार्षिक परीक्षाएं सिर पर हैं। उधर फ ील्ड के स्कूलों के ज्यादातर खासतौर से प्राथमिक स्कुलों के टीचरों की ड्यूटी सरकारी ट्रेनिंग आदि में लगाई लगी रहती है। ऐसे उन स्कूलों की हालत खस्ता है जहां स्टाफ का पहले ही से टोटा है। राज्य में हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड की वार्षिक परीक्षाएं 3 मार्च से 27 मार्च तक आयोजित हो रही है। जानकारी के अनुसार एन.सी.ई.आर.टी व एस.सी.ई.आर.टी संस्थानों की ट्रेनिंग का शडयूल पहले से ही से ही तय रहता है ऐसे में इनकी ट्रेनिंग के लिए टीचर को भेजना अनिवार्य होता है। इसके अलावा सभी श्रेणियों के टीचर सरकार केअन्य गैर शिक्षक गतिविधियों में डयूटी पर रहते हैं मसलन इलेक्शन ड्यूटी सबसे अह्म है। सरकार के अन्य सर्वे आदि में स्कूलों के शिक्षकों को ही झौंकने की रिवायत रही है। अभिभावकों व सभी शिक्षक संघ सरकार से यह गुहार लगाते रहे कि अगर स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधारना है तो सबसे पहले यह यकीनी बनाना होगा की स्कूलों में तैनात टीचर स्कूलों में ही रहे उन्हें अन्य गैर शिक्षक गतिविधियों में के साथ ना जोड़ा जाए।
उधर बोर्ड की वार्षिक पेपर रिक्शा के मध्य नजर फील्ड के बहुत से स्कूलों खासतौर से प्राइमरी स्कूलों की की हालत ऐसी है कि अगर एक स्कूल में 4 शिक्षक हैं उनमें से 3 फ ील्ड में ट्रेनिंग आदि में तैनात कर रखे हैं ऐसे में सवाल उठता की वार्षिक परीक्षाओं के दौरान स्टाफ की कमी के चलते हैं कक्षाओं का आयोजन कैसे होगा। मिली जानकारी के अनुसार प्रबंधन को परीक्षा आयोजन करने में परेशानी होती है लेकिन इसकी चिंता शिक्षा विभाग की सरकार को है। हाल ही में शिक्षा विभाग ने यह कहकर वार्षिक पारितोषिक समारोह पर प्रतिबंध लगा दिया था स्कूलों में वार्षिक परीक्षा का आयोजन होना है ताकि छात्रों की पढ़ाई बाधित ना हो। लेकिन विभाग का फैसला 2 घंटे में नहीं टिक सका। सियासी दबाव के चलते शिक्षा निदेशक को अपना फैसला पलटना पड़ा था।
-एससीईआरटी व एनसीईआरटी की ट्रेनिंग के कार्यक्रम हेड क्वार्टर से ही तय होते हैं। उनमें कोई तबदीली निचले स्तर पर नहीं हो सकती। परीक्षा के दौरान ट्रेनिंग शायद नही होगी। अगर ट्रेनिंग कार्यक्रम आता है तो इसकी सूचना हेड क्वार्टर दी जा सकती है ताकि ट्रेनिंग में जाने वाले शिक्षकों को परीक्षा के लिए रोका जा सके। स्कूल प्रबंधन को भी चाहिए कि वह परीक्षा के दौरान शिक्षकों को अन्यत्र ना भेजे।
-करमचंद, शिक्षा उपनिदेशक प्राथमिक जिला सिरमौर
-एस.सी.आर.टी व एन.सी.आर.टी की ट्रेनिंग कार्यक्रम एक नियमित प्रक्रिया है माध्यमिक व माध्यमिक स्कूलों में लगे स्टाफ के अलावा शिक्षकों को को इन ट्रेनिंग में भेजा जाता है। लेकिजेबीटी शिक्षकों के मामले में स्थिति और है अगर ऐसी समस्या उत्पन्न हो रही है तो इसकी सूचना उपनिदेशक स्तर पर देनी चाहिए ताकि स्टाफ को को परिक्षा के लिए रोका जा सके। संघ ने अक्सर सरकार से मांग की है कि स्कूल शिक्षकों को गैर शिक्षण गतिविधियों से अलग किया जाए और उन्हें स्कूलों में ही रहने का मौका दिया जाए ताकि शिक्षा में गुणवत्ता संभव हो। अगर शिक्षक स्कूल में ही नहीं टिकेगा और अन्य गतिविधियों में डियूटी देता रहेगा तो स्कु लों के कामकाज पर सवालिया निशान तो लगेगा ही है।
-सुरेंद्र पुंडीर,जिला अध्यक्ष स्कूल शिक्षा प्रवक्ता संघ