मिड डे मील वर्करज़ यूनियन सुन्नी इकाई की बैठक सम्पन्न

मिड डे मील वर्करज़ यूनियन सुन्नी इकाई की बैठक सम्पन्न
अक्स न्यूज लाइन शिमला 26 मई : 
मिड डे मील वर्करज़ यूनियन सुन्नी इकाई बैठक बसन्तपूर में संपन्न हुई। बैठक में सीटू जिला कोषाध्यक्ष बालक राम,मिड डे मील यूनियन इकाई अध्यक्ष पुष्पा शर्मा महासचिव शीला देवी कोषाध्यक्ष चम्पा देवी,नीलम, निशा, लता,विद्या, अनिल , यशपाल,मनोरमा, मीरा शर्मा, मोहन लाल,चमन शर्मा, सोहन लाल,उषा, सुनीता दयावंती,कमला, कौशल्या, रीता रंजना,आदि सैकड़ों मौजूद रहे। यूनियन ने संघर्ष को तेज़  करने का आह्वान किया है। 
बालक राम, पुष्पा शर्मा, शीला देवी, चम्पा देवी  ने बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि मिड डे मील वर्करों को पिछले दो महीने का वेतन का भुगतान नहीं हुआ तो हड़ताल पर जाएंगे। और चुनाव ड्यूटी लगाने पर दिहाड़ी नहीं दी तो ड्यूटी नहीं देंगे उन्होंने हरियाणा की तर्ज़ पर सात हजार रुपये वेतन की मांग की। उन्होंने मांग की है कि माननीय हिमाचल उच्च न्यायालय द्वारा मिड डे मील कर्मियों को बारह महीने का वेतन देने के का यूनियन ने स्वागत किया है व इसे मध्याहृ भोजन कर्मियों के पंद्रह साल के लंबे न्यायिक संघर्ष की जीत करार दिया है। पंजाब सरकार के मिड डे मील व हिमाचल में आंगनबाड़ी की तर्ज़ पर 12 से 20 छुट्टियों की सुविधा दी जाए। उन्हें साल में दो वर्दी दी जाए। मल्टी टास्क भर्ती में मिड डे मील कर्मियों को प्राथमिकता दी जाए। उन्हें अतिरिक्त कार्य का अतिरिक्त वेतन दिया जाए। बन्द किए गए स्कूलों में अन्य स्टाफ की तरह मिड डे मील कर्मियों को भी दूसरे स्कूलों में समायोजित किया जाए। उनके लिए नौकरी से सम्बंधित 25 बच्चों की शर्त को हटाया जाए। उनसे चुनाव के समय पोलिंग पार्टी को खाना बनाने का कार्य न करवाया जाए। प्रत्येक स्कूल में अनिवार्य रूप से दो मिड डे मील वर्करज़ की नियुक्ति की जाए। 45वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिश अनुसार मिड डे मील कर्मियों को मजदूर का का दर्जा दिया जाए व उन्हें नियमित किया जाए।
वक्ताओं ने कहा कि देश की मोदी सरकार मजदूर वर्ग पर तीखे हमले जारी रखे हुए है। केंद्र सरकार 45वें श्रम सम्मेलन की शर्त के अनुसार योजना मजदूरों को मजदूर का दर्जा देने, पेंशन, ग्रेच्युटी, स्वास्थ्य आदि सुविधा को लागू नहीं कर रही है। केंद्र में रही सरकारों ने वर्ष 2009 के बाद मिड डे मील कर्मियों के वेतन में एक रुपये की भी बढ़ोतरी नहीं की है। मोदी सरकार इस योजना को कॉरपोरेट कम्पनियों के हवाले करना चाहती है। यही कारण है कि इस योजना के बजट में लगातार कटौती की जा रही है। मोदी सरकार ने मिड डे मील योजना का नाम बदलकर प्रधानमंत्री पोषण शक्ति योजना करके इसे खत्म करके सुनियोजित साज़िश रची है। सरकार मिड डे मिल योजना में केंद्रीय रसोई घर व डीबीटी शुरू कर रही है जिस से मिड डे मील कर्मियों की छंटनी तय है। केंद्र सरकार नई शिक्षा नीति  लेकर आई है, जिसके चलते बड़े पैमाने पर निजीकरण होगा। यह सब करके भाजपा सरकार मिड डे मील कर्मियों के रोजगार को खत्म करना चाहती है। प्रदेश में कई स्कूल बंद कर दिए गए हैं व कई मिड डे मील कर्मियों को नौकरी से बाहर किया जा चुका है। और स्कूलों में रिक्त पदों को तुरंत भरा जाए।