नाहन मेडिकल कॉलेज : दस दिन से प्रिंसिपल का पद का ख़ाली पड़ा. सरकार नही कर सकी तैनात..

अक्स न्यूज लाइन नाहन 10 अक्तूबर :
राज्य सरकार नाहन मेडिकल कॉलेज को चलाने के लिए कितनी संवेदनशील है इसकी मिडल पिछले तीन सालों से शहर की जनता अपनी खुली आँखों से देख रही हैं। आलम यह है कि बीते दस दिनों से कॉलेज प्रिंसिपल का पद ख़ाली पड़ा है लेकिन नया प्रिंसिपल भेजने में नाकाम रही है। ऐसे में मेडिकल कॉलेज प्रबंधन को लेकर महत्वपूर्ण फैसलों की फाइलें अटकी रही है। यही नहीं रोजमर्रा का प्रशासनिक कामकाज लड़खड़ा रहा है।
आरोप है कि सरकारी उदासीनता के चलते जहाँ मेडिकल कॉलेज का।काम काज लड़खड़ा रहा है तो सेंकडों छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ जारी है। न नियमित प्रिंसिपल और न कोई आधारभूत ढांचा जुटाया जा रहा है। अस्पताल की छतों व पुरानी इमारतों में चल रहा है मेडीकल कॉलेज नाहन।
मेडिकल कालेज के सूत्रों के अनुसार बीते साल रिटायर हुए डॉ डोगरा को सरकार ने नाहन मेडिकल कॉलेज में एक साल की एक्सटेंशन पर भेजा था। डोगरा ने एक्सटेंशन अवधि पूरी होने से 3 महीने पहले इस्तीफा दे दिया। उनकी एक्सटेंशन 31 दिसम्बर 2025 तक थी। उधर सरकार ने प्रिंसिपल डोगरा का इस्तीफा मंजूर करते हुएउनको मिली एक्सटेंशन ख़त्म कर दी थी।
अब एक अक्टूबर 2025 से मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल का पद खाली है। कभी सुबे में टाण्डा मेडिकल कॉलेज के बाद तीसरे स्थान पर रहे नाहन मेडिकल कालेज को चलाने में सरकार 3 साल से उदासीनरवैया अपनाए है। यहां कई साल से नियमित प्रिंसिपल को नहीं भेजा गया है। एक दो प्रिंसिपल के इलावा सभी ऑफिसिएटिंग रहे या रिटायरमेंट के बाद सरकार ने एक्सटेंशन पर आए।
एक बार फिर कॉलेज प्रिंसिपल पद का चार्ज दिये जाने की कोशिशे जारी है। मिली जानकारी के अनुसार रूल के अनुसार सबसे सीनियर मोस्ट फैकल्टी को प्रिंसिपल का चार्ज दिया जाबसकता है। लेकिन कुछ प्रशासनिक अड़चन की वजह से यह चार्ज कॉलेज की सीनियर मोस्ट फेकल्टी के हवाले नही किया गया है। ऐसे शायद सरकार कोई अन्य विकल्प तालाशने में लगी है। हो सकता है इसी लिए देरी हो रही है।