अक्स न्यूज लाइन ऊना, 1 अक्तूबर :
उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने मंगलवार को कहा कि राज्य में डिजिटल प्रौद्योगिकी के व्यापक उपयोग से सरकारी सेवाओं को अधिक सुगम और प्रभावी बनाया जाएगा। उन्होंने डिजिटल प्रौद्योगिकी के माध्यम से मंदिरों में दर्शन, दान और अन्य सेवाओं की व्यवस्था को सशक्त बनाने के लिए एक राज्यव्यापी नीति तैयार करने के निर्देश दिए।
उपमुख्यमंत्री मंगलवार को ऊना के पालकवाह स्थित कौशल विकास केंद्र के सभागार में डिजिटल प्रौद्योगिकी एवं गवर्नेंस विभाग के सम्मेलन का शुभारंभ करते हुए बोल रहे थे। यह एक दिवसीय सम्मेलन डिजिटल प्रौद्योगिकी के माध्यम से रोजगार सृजन तथा तकनीक को लोगों के करीब लाने और प्रदेश में सार्वजनिक सेवाओं में व्यापक सुधार व उनकी पहुंच बढ़ाने पर केंद्रित था। इसमें नागरिक-केंद्रित डिजिटल एप्लिकेशनों और उभरती तकनीकों को समझने तथा समग्र विकास में उनके उपयोग को लेकर विस्तारपूर्वक चर्चा की गई।
शुभारंभ सत्र में डिजिटल प्रौद्योगिकी एवं गवर्नेंस विभाग के सचिव डॉ. अभिषेक जैन, आईआईआई ऊना के निदेशक प्रो. मनीष गौर, बजाज फाइनेंस के मुख्य सूचना एवं तकनीकी अधिकारी अनुराग जैन, डिजिटल प्रौद्योगिकी एवं गवर्नेंस विभाग के निदेशक डॉ. निपुण जिंदल, उपायुक्त जतिन लाल,डिजिटल प्रौद्योगिकी एवं गवर्नेंस विभाग के अतिरिक्त निदेशक राजीव कुमार, संयुक्त निदेशक अनिल सेमवाल सहित विभाग के अन्य अधिकारी, सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र के विशेषज्ञ, हरोली इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश कौशल सहित विभिन्न पंचायतों के प्रतिनिधियों, विभिन्न विभागों के अधिकारियों, उद्यमियों, शिक्षण संस्थानों के बच्चों, लोक मित्र केंद्रों के संचालकों समेत अन्य लोगों ने भाग लिया।
*डिजिटल प्रौद्योगिकी के सदुपयोग पर बल*
उपमुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में विभाग को प्रदेश के मंदिरों में दर्शन, दान और अन्य सेवाओं की व्यवस्था को सुदृढ़ करने मेें डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग को लेकर राज्यव्यापी नीति तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि हिमाचल में विश्व प्रसिद्ध शक्तिपीठ एवं ऐतिहासिक मंदिर हैं। डिजिटल माध्यम से मंदिर दर्शन और डोनेशन की व्यवस्था बनाने समेत प्रदेश के लिए एकरूप डिजिटल व्यवस्था बनाने की दिशा में काम करें। उन्होंने शासन व्यवस्था को और बेहतर बनाने में डिजिटल प्रौद्योगिकी के सदुपयोग पर बल दिया है। साथ ही सार्वजनिक सेवाओं की पहुंच बढ़ाने और रोजगार सृजन में तकनीक के बेहतर इस्तेमाल पर फोकस करने को कहा।
*ड्रोन प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में क्रांति के लिए करें समन्वित प्रयास*
*ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग में आत्मनिर्भर बनने के लिए करना होगा काम*
उपमुख्यमंत्री ने ड्रोन प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नवाचार लाने और इसे ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचाने के लिए समन्वित प्रयासों की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि ड्रोन के जरिए दूरदराज और ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को आवश्यक सेवाएं जैसे दवाओं की सप्लाई तक पहुंचाना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए, लेकिन इस दिशा में अभी और काम की आवश्यकता है।
उपमुख्यमंत्री ने इस बात पर चिंता जताई कि भारत में फिलहाल ड्रोन का निर्माण नहीं हो रहा और अधिकतर ड्रोन चीन से आयात किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि हमें ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग की दिशा में तेजी से काम करना चाहिए ताकि हम आत्मनिर्भर बन सकें। साथ ही बच्चों के लिए ड्रोन पायलट का प्रशिक्षण देने पर ध्यान देना होगा। उन्होंने ट्रिपल आईटी ऊना को अपने वहां बच्चों के लिए ड्रोन पायलट ट्रेनिंग देने के लिए 3 या 6 महीने के लघु कोर्स चलाने का सुझाव दिया।
*आम लोगों तक पहुंचे तकनीक का फायदा*
मुकेश अग्निहोत्री ने डिजिटल प्रौद्योगिकी के विशेषज्ञों से आग्रह किया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि तकनीक का लाभ आम लोगों तक पहुंचे और उनके जीवन को सरल बनाने में योगदान दे। उन्होंने कहा कि डिजिटल क्रांति की सार्थकता तभी है जब यह सार्वजनिक सेवाओं को सुलभ बनाते हुए लोगों के जीवन में आसानी लाए।
उपमुख्यमंत्री ने ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल सेवाओं के विस्तार के लिए लोकमित्र केंद्रों की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों में लोकमित्र केंद्र अभी स्थापित नहीं किए गए हैं, वहां इन्हें स्थापित करने पर ध्यान दिया जाना चाहिए ताकि ग्रामीण क्षेत्रों के लोग भी इन सेवाओं का लाभ उठा सकें।
उन्होंने बताया कि एचआरटीसी में डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देते हुए कैशलेस यात्रा की सेवा शुरू की गई है। इसके जरिए यात्री अब ऑनलाइन एप्लीकेशन का उपयोग कर किराये का भुगतान कर सकते हैं।
*ऊना में युवाओं के लिए हों अधिक से अधिक नवोन्मेषी कार्यक्रम*
श्री अग्निहोत्री ने जिला प्रशासन को ऊना में अधिक से अधिक नवोन्मेषी कार्यक्रमों के आयोजन को कहा ताकि बच्चे और युवा तकनीकी शिक्षा के माध्यम से लाभान्वित हो सकें। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से न केवल बच्चों को आधुनिक तकनीकी ज्ञान मिलेगा, बल्कि उन्हें भविष्य के रोजगार के अवसरों के लिए भी तैयार किया जा सकेगा।
इसके साथ ही, उपमुख्यमंत्री ने पंचायत स्तर पर तकनीकी जागरूकता बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पंचायत प्रतिनिधियों को आईटी तकनीकों के उपयोग के प्रति जागरूक किया जाए ताकि उन्हें प्रदेश सरकार द्वारा क्रियान्वित योजनाओं और कार्यक्रमों की ऑनलाइन जानकारी मिल सके। जिससे वे अधिक से अधिक पात्र लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिला सकें।
*भारत में सूचना प्रौद्योगिकी लाने का श्रेय कांग्रेस को*
उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की प्रगति का श्रेय कांग्रेस पार्टी को देते हुए कहा कि स्वर्गीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने देश में कंप्यूटर युग की शुरुआत की थी। उस समय विपक्ष ने इसका जोरदार विरोध किया था और संसद में बैलगाड़ियों से आकर यह दावा किया कि कंप्यूटर से देश का नुकसान होगा और रोजगार खत्म हो जाएंगे। लेकिन समय ने दिखा दिया कि सूचना प्रौद्योगिकी ने भारत में क्रांतिकारी परिवर्तन लाया है और देश को प्रगति की नई राह पर आगे बढ़ाया है।
श्री अग्निहोत्री ने कहा कि वर्तमान में सरकारी कार्यालयों की कार्य प्रणाली को डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ा जा रहा है, जिससे लोगों को अधिक सुविधाएं ऑनलाइन मिल रही हैं। उन्होंने बताया कि पहले लोगों को रोजगार समाचार के जरिए नौकरियों की जानकारी मिलती थी, लेकिन अब आईटी युग में कंप्यूटर, टैबलेट और मोबाइल फोन के जरिए नौकरियों की सूचना तुरंत ऑनलाइन उपलब्ध हो जाती है।
*प्रदेश की पहली ‘स्मार्ट विधानसभा’ बनेगी हरोली*
*पूर्णतः सीसीटीवी कैमरों से होगी सुसज्जित*
उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री बताया कि हरोली विधानसभा प्रदेश की पहली ऐसी विधानसभा बनने जा रही है, जो पूर्णतः सीसीटीवी कैमरों से सुसज्जित होगी। अगले 15-20 दिनों में यह सुरक्षा व्यवस्था लागू कर दी जाएगी, जिसके अंतर्गत विधानसभा क्षेत्र के सभी प्रवेश द्वार, मुख्य मार्ग, महत्वपूर्ण स्थल, चौराहे, बाजार, और शिक्षण संस्थान सीसीटीवी से लैस होंगे। यह पहल क्षेत्र की सुरक्षा को सुनिश्चित करने और अपराधों पर प्रभावी नियंत्रण के दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण कदम है।
श्री अग्निहोत्री ने कहा कि हरोली विधानसभा क्षेत्र में अब कोई भी अपराधी अपराध करके बच नहीं सकेगा, क्योंकि पूरे क्षेत्र पर सीसीटीवी की निगरानी होगी। इसके अलावा, इंटरनेट की पूरी सुविधा से हरोली को जोड़ने का भी कार्य किया जा रहा है, जिससे हर जानकारी और सेवा ऑनलाइन उपलब्ध होगी। उन्होंने कहा कि हरोली विधानसभा क्षेत्र पूरी तरह से इंटरनेट पर आएगा। यहां की हर जानकारी, हर सेवा इंटरनेट से कनेक्ट होगी। इसके अलावा अधिक गति से होने वाली दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए चार डिजिटल रडार भी स्थापित किए जा रहे हैं।
*अभूतपूर्व विकास की मिसाल बना हरोली*
मुकेश अग्निहोत्री ने हरोली विधानसभा क्षेत्र में हुए अभूतपूर्व विकास कार्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जब से वे पहली बार विधायक चुने गए थे, तब से लेकर अब तक हरोली में कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में सेंटर स्कूल, ट्रिपल आईटी, आईटीआई, और तीन डिग्री कॉलेजों की स्थापना जैसी उपलब्धियां विकास के मुख्य उदाहरण हैं। इन सभी संस्थानों का उद्देश्य बच्चों और युवाओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और तकनीकी कौशल से सुसज्जित करना है, जिससे वे भविष्य की चुनौतियों का सामना कर सकें।
*आम नागरिकों तक डिजिटल प्रौद्योगिकी का लाभ पहुंचाने के प्रयास - डॉ. अभिषेक जैन*
इस अवसर पर डिजिटल प्रौद्योगिकी और गवर्नेंस विभाग के सचिव डॉ. अभिषेक जैन ने कहा कि विभाग यह सुनिश्चित कर रहा है कि प्रौद्योगिकी का लाभ केवल विशिष्ट वर्ग तक सीमित न रहकर गांवों और हिंदी में कामकाज करने वाले आम नागरिकों तक भी पहुंचे। इस विचार के साथ इस सम्मेलन का आयोजन किया गया है, ताकि लोग डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग को लेकर जागरूक हों। उन्हें घर बैठे सरकारी सेवाओं का लाभ मिल सके और ग्रामीण क्षेत्रों में तकनीकी साक्षरता का विस्तार हो।
उन्होंने गावों में डिजिटल साक्षरता कैंप लगाने के लिए विभाग की ओर से समुचित आर्थिक सहयोग समेत हर संभव मदद का भरोसा दिया।
डॉ. जैन ने बताया कि हिमाचल प्रदेश सरकार की दिशा-निर्देशों के तहत राज्य में आईटी पार्कों के निर्माण कार्य को तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है। धर्मशाला के चौतड़ू में आईटी पार्क तैयार हो चुका है, और शिमला के मैहली में आई पार्क का कार्य भी तेज गति से चल रहा है। इसके अतिरिक्त वाकनाघाट में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर आईटी का निर्माण कार्य तेजी से प्रगति पर है। इन सभी परियोजनाओं को अगले तीन महीनों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल के बच्चों को राज्य के भीतर ही आईटी क्षेत्र में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए प्राथमिकता पर कार्य किया जा रहा है, ताकि उन्हें बाहर न जाना पड़े और प्रदेश की प्रतिभाओं को स्थानीय स्तर पर ही प्रौद्योगिकी में अपनी पहचान बनाने का मौका मिले। उन्होंने कहा कि डिजिटल प्रौद्योगिकी के माध्यम से न केवल सरकारी सेवाएं सरल होंगी, बल्कि आम लोगों के जीवन में भी सुधार आएगा।
*डॉ. निपुण जिंदल ने दी विभाग की नई पहलों की जानकारी*
डिजिटल प्रौद्योगिकी एवं गवर्नेंस विभाग के निदेशक डॉ. निपुण जिंदल ने विभाग द्वारा किए गए नवाचारों और तमाम नई पहलों के बारे में जानकारी दी। साथ ही उन्होंने ई-जिला परियोजना के तहत अब आम जनता 251 सरकारी सेवाओं का लाभ घर बैठे ले सकती है, जिससे उनकी दिनचर्या में बड़ा बदलाव आया है। यह सेवाएं नागरिकों को किसी भी सरकारी कार्यालय में जाए बिना ही ऑनलाइन उपलब्ध कराई जा रही हैं, जिससे लोगों को समय और संसाधनों की बचत हो रही है। जल्द ही इसमें 40 और सेवाएं जोड़ी जाएंगी।
*संवाद सत्रों में डिजिटल प्रौद्योगिकी की संभावनाओं पर ज्ञानवर्धक चर्चा*
सूचना प्रौद्योगिकी और सुशासन पर आयोजित सम्मेलन के दौरान विभिन्न संवाद सत्रों में विशेषज्ञों ने गहन चर्चा की और डिजिटल प्रौद्योगिकी से संबंधित चुनौतियों और संभावनाओं पर अपने विचार साझा किए। इन सत्रों में प्रतिभागियों ने अपने सवालों का समाधान प्राप्त किया और नवीनतम तकनीकी प्रगति पर अंतर्दृष्टि हासिल की।
पहले सत्र में डिजिटल प्रौद्योगिकी एवं गवर्नेंस विभाग के नागरिक-केंद्रित अनुप्रयोगों पर चर्चा करते हुए, ट्रिपल आईटी ऊना के निदेशक डॉ. मनीष गौर और डिजिटल प्रौद्योगिकी एवं गवर्नेंस विभाग के निदेशक डॉ. निपुण जिंदल ने ग्रामीण क्षेत्रों में नेट कनेक्टिविटी और प्रौद्योगिकी के उपयोग में लोगों की हिचक समेत अन्य चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने इन बाधाओं के समाधान की दिशा में किए जा रहे प्रयासों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
वहीं, डिजिटल प्रौद्योगिकियों के माध्यम से आय सृजन और स्वरोजगार को बढ़ावा देने के विषय पर आयोजित सत्र में, बजाज फाइनेंस के मुख्य सूचना एवं प्रौद्योगिकी अधिकारी अनुराग जैन, संयुक्त निदेशक उद्योग अंशुल धीमान, ब्लॉक उद्योग संघ हरोली के अध्यक्ष राकेश कौशल, हिम्पा फूड के प्रबंध निदेशक रोहित शर्मा, और बायोजेंटा फार्मा के प्रबंध निदेशक दीप कुमार ने अपने विचार साझा किए। इस सत्र में उद्यमशीलता और स्वरोजगार के लिए डिजिटल प्लेटफार्मों के महत्व पर गहन चर्चा हुई।
तीसरे सत्र में डिजिटल साक्षरता को लेकर चर्चा की गई। इसमें एनआईटी हमीरपुर के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. नवीन चौहान, आईआईटी रोपड़ के सहायक प्राध्यापक डॉ. शशि शेखर झा, ट्रिपल आईटी ऊना के सहायक प्रोफेसर डॉ. विक्रम कुमार, और पीएचडी स्कॉलर कुमारी मेहक और कुमारी श्वेता वर्मा ने अपने विचार साझा किए। इस सत्र का मुख्य उद्देश्य डिजिटल साक्षरता के महत्व को समझाना और आम नागरिकों को इसका लाभ कैसे मिल सकता है, इस पर चर्चा करना था।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता और शासन में इसके अनुप्रयोग पर आयोजित चौथे व अंतिम सत्र में, एनआईटी जालंधर की सहायक प्रोफेसर डॉ. जसपाल कौर, वाधवानी फाउंडेशन के कार्यकारी उपाध्यक्ष सुनील दहिया, ट्रिपल आईटी ऊना के सहायक प्रोफेसर डॉ. प्रिंस शर्मा, और एनआईटी हमीरपुर के सहायक प्रोफेसर डॉ. मोहित कुमार ने अपने अनुभव और अंतर्दृष्टि साझा की। उन्होंने बताया कि किस प्रकार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल और अधिक प्रभावी बना सकता है।
इस सम्मेलन में विभिन्न संवाद सत्रों के माध्यम से डिजिटल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हो रहे विकास, चुनौतियों और भविष्य की संभावनाओं पर व्यापक चर्चा हुई, जिससे सभी प्रतिभागियों को महत्वपूर्ण जानकारी और मार्गदर्शन प्राप्त हुआ।