अक्स न्यूज लाइन शिमला 20 दिसंबर :
जिला पर्यटन विकास अधिकारी (डीटीडीओ) शिमला जगदीश शर्मा ने नारकंडा के झमुण्डा और सिद्धपुर में अवैध तरीके से चल रही विविध साहसिक गतिविधियों और जिप लाइन का औचक निरीक्षण कर बन्द करवाया गया। उन्होंने कहा कि पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पर्यटन विभाग तत्पर है और इसी कड़ी में यह कार्यवाई अमल में लाई गई है।
उन्होंने बताया कि जीप लाइन व विविध साहसिक गतिविधियों को सुचारू रूप से चलाने के लिए पर्यटन विभाग की तरफ से लाइसेंस दिया जाता है और सभी सुरक्षा नियमों को पूरा करने के पश्चात् जारी किया जाता है। इसलिए 4 संचालकों को नोटिस जारी किए गए हैं तथा आवश्यक दिशा-निर्देश देकर 07 दिन के भीतर सभी अवैध तरीके से चल रही गतिविधियों से संबंधित उपकरणों को हटाने का निर्देश दिया गया। इस संबंध में कोटगढ़ के वन विभाग को भी सूचित किया गया है कि वन भूमि पर किसी भी प्रकार के उपकरणों व ढांचा बनाने की अनुमति न दी जाए।
जगदीश शर्मा ने कहा कि यह अत्यंत गंभीर जानकारी संज्ञान में आई है कि कुछ स्थानों पर बिना विधिक अनुमति एवं पंजीकरण के जिप लाइन व अन्य विविध साहसिक गतिविधियां संचालित की जा रही है, जो पूर्णतः अवैध एवं हिमाचल प्रदेश विविध साहसिक गतिविधि नियम-2017 तथा संशोधित नियम-2021 का उल्लंघन है।
पर्यटन विभाग स्पष्ट करता है कि ऐसी गतिविधियों के लिए विधिक अनुमति, तकनीकी निरीक्षण, सुरक्षा प्रमाणन, प्रशिक्षित तकनीकी स्टाफ तथा बीमा एवं सुरक्षा मापदंडों का अनुपालन अनिवार्य है। बिना अनुमोदन के ऐसी गतिविधियों का संचालन न केवल दंडनीय है बल्कि पर्यटकों एवं स्थानीय लोगों की सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा पैदा करता है। आम जनता और पर्यटक साहसिक गतिविधि संचालन एवं संबंधित सभी संस्थानों को सूचित किया जाता है कि कोई भी साहसिक गतिविधि केवल विधिक अनुमति एवं पंजीकरण प्राप्त करने के उपरांत ही संचालित की जा सकती है।
माननीय हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायलय द्वारा भी इस विषय पर कठोर संज्ञान लिया गया है और निर्देश दिए गए है कि प्रदेश में बिना अनुमति संचालित हो रही साहसिक गतिविधियों पर तुरंत रोक लगाई जाए तथा दोषियों के विरुद्ध नियमों के अन्तर्गत कड़ी कार्यवाही की जाए। यदि कोई भी व्यक्ति संस्था अथवा ऑपरेटर बिना अनुमति इन गतिविधियों के संचालन में संलिप्त पाया जाता है, तो उसके विरुद्ध नियमों के अनुसार कड़ी प्रशासनिक कार्यवाही की जाएगी, जिसमें गतिविधि स्थल को सील करना तथा जुर्माना अथवा कानूनी दंड शामिल है। उन्होंने कहा कि सभी संचालकों को निर्देश दिए गए है कि यदि वे ऐसी गतिविधियां संचालित करना चाहते हैं, तो तुरंत पर्यटन विभाग में पंजीकरण हेतु आवेदन करें।