मुख्यमंत्री ने नालागढ़ में ग्रीन हाइड्रोजन संयंत्र के निर्माण की प्रगति की समीक्षा की
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार हिमाचल प्रदेश को 31 मार्च, 2026 तक हरित ऊर्जा राज्य बनाने के लिए प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। यह ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने में मील पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में विभिन्न उद्योगों में ग्रीन हाइड्रोजन की मांग निरन्तर बढ़ रही है। परिवहन, विनिर्माण और ऊर्जा भंडारण जैसे क्षेत्रों में ग्रीन हाइड्रोजन जीवाश्म ईंधन का एक स्वच्छ विकल्प प्रदान करता है। शून्य कार्बन उत्सर्जन के साथ हरित हाइड्रोजन के उत्पादन से यह परियोजना उद्योगों और ऊर्जा क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी तथा जिससे पर्यावरण संरक्षण भी सुनिश्चित होगा।
ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि ग्रीन हाइड्रोजन से नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर ऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर जैसे हानिकारक प्रदूषकों के उत्सर्जन में कमी होगी। इससे वायु की गुणवत्ता में सुधार होगा और पारिस्थितिकी तंत्र की भी रक्षा होगी। पर्यावरण संरक्षण के प्रति राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने 20 माह के अपने कार्यकाल में हिमाचल प्रदेश को एक स्वच्छ और हरित राज्य के रूप में स्थापित करने के लिए अनेक नवाचार कदम उठाए हैं। इस दिशा में उन्होंने चंबा में 14 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से निर्मित होने वाले ग्रीन हाइड्रोजन मोबिलिटी स्टेशन की पायलट परियोजना की आधारशिला रखी है। इसके अलावा, जिला ऊना के पेखुबेला में 32 मेगावाट का सौर ऊर्जा संयंत्र पहले ही स्थापित किया जा चुका है और अगले छह महीनों में दो और सौर ऊर्जा संयंत्र शुरू होने की उम्मीद है। उन्होंने विभाग को राज्य में सौर ऊर्जा दोहन को बढ़ाने के लिए प्रयास तेज करने के निर्देश दिए।
बैठक में मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना, मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार राम सुभग सिंह, सलाहकार अधोसंरचना अनिल कपिल, प्रधान सचिव देवेश कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव राकेश कंवर, हिमाचल प्रदेश विद्युत निगम के प्रबंध निदेशक हरिकेश मीणा, हिमाचल प्रदेश ऊर्जा निगम के निदेशक शिवम प्रताप सिंह तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।