मीराबाई ने गुरु रविदास को अपना गुरु धारण किया : बिंदल
शिमला, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल ने भाजपा मुख्यालय दीप कमल चक्कर में आयोजित श्री रविदास जयंती के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया उनके साथ भाजपा के प्रदेश महामंत्री बिहारी लाल शर्मा, मीडिया प्रभारी कर्ण नंदा और प्रदेश कार्यालय सचिव प्रमोद ठाकुर उपस्थित रहे।
प्रदेश अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल ने कहा कि गुरु रविदास का विलक्षण जीवन और वह व्यक्ति जो जूते बनाने वाले के परिवार में पैदा होते हैं और उसी व्यवसाय को करते है और काशी की पवित्र नगरी के अंदर इस कार्य को करते हुए वो अद्वितीय गुणों से युक्त रहते हुए केवल भारत नहीं विश्व के मार्गदर्शक बनें।
डॉ राजीव बिंदल ने कहा कि मीराबाई ने गुरु रविदास को अपना गुरु धारण किया और उनके सभी भजन के अंदर संत गुरु रविदास जी महाराज का जिक्र किया है। यह जो काशी का विशिष्ट है, काशी की जो महानता है उस महानता के अंदर संत गुरु रविदास अपना जो चरित्र है व्यक्तित्व है वह प्रभु के सामान का जीवन है, वो उनकी महानता में शामिल है।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि जाति-पाती पूछे नहीं कोई हरि को भजे सो हरि का भये। गुरू रविदास जी ने इस बात को प्रचारित-प्रसारित नहीं किया। इस बात को जीवन में चरितार्थ करके दिखाया। गुरु रविदास जी के जो अनुयायी हैं, गुरु रविदास जी के जो शब्दावली है, उनके जो मार्गदर्शक है, उनकी जो प्रेरणा हैं वो केवल रविदास समाज के लिए नहीं बलकि पूरे भारत के लिए भारतवासियों के लिए और दुनिया के लिए है और पूरे जीवन का ज्ञान उनके साधारण से शब्दों के अंदर समाहित है। डॉ राजीव बिंदल ने कहा कि ऐसे संत शिरोमणि गुरु रविदास जी महाराज के श्री चरणों में नमन करते हुए आज हम अपने आप को सौभाग्यशाली महसूस करते हैं और आज हिमाचल प्रदेश के 68 विधानसभा क्षेत्रों में प्रति विधानसभा क्षेत्र के 20 बस्तियों में ये कार्यक्रम होने जा रहा है। लगभग 1400 बस्तियों में आज यह कार्यक्रम अनुसूचित मोर्चा भारतीय जनता पार्टी के मार्गदर्शन के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी करने जा रही है।
उन्होंने कहा कि संत शिरोमणि गुरु रविदास जी महाराज भारत के उस कालखंड के अंदर पैदा हुए जब हम गुलामी के कालखंड के अंदर थे, उस गुलामी के कालखंड के अंदर भारत की संस्कृति, भारत के विचार की चेतना, भारत की आत्मा और उसका पुनर्जागरण करने का कार्य करने वाले संत शिरोमणि श्री रविदासजी महाराज के श्री चरणों में नमन करते हुए हमें आनंद की अनुभूति हुई।