गिरीपार क्षेत्र जनजातीय क्षेत्र घोषित हुआ तो- आशीष कुमार

गिरीपार क्षेत्र जनजातीय क्षेत्र घोषित हुआ तो- आशीष कुमार

अनुसूचित जाति वर्ग  के 176000 लोगों  को सरंक्षण प्रदान करने वाला एट्रोसिटी एक्ट निष्प्रभावी हो जाएगा 

-कहा अनुसूचित जाति वर्ग को दासता की तरफ  धकेलना

नाहन,26 मई : दलित शोषण मुक्ति मंच जिला सिरमौर ने 154 पंचायतों जनजातीय क्षेत्र होने की जो अटकलों के संदर्भ देश के राष्ट्रपति को भेजा एक ज्ञापन में चिंता जताते हुए कहा कि अगर गिरीपार क्षेत्र जनजातीय क्षेत्र घोषित कर दिया गया तो यहां रहने वाले अनुसूचित जाति वर्ग के 1,76,000 लोगों को सरंक्षण प्रदान करने वाला एट्रोसिटी एक्ट निष्प्रभावी हो जाएगा। के न्द्र सरकार का यह कदम अनुसूचित जाति वर्ग को दासता की तरफ  धकेलने वाला साबित होगा।

डीसी सिरमौर की माफऱ्त दलित शोषण मुक्ति मंच के जिला संयोजक आशीष कुमार के नेतृत्व में जिले  अनुसूचित जाति में संगठनों माननीय अखिल भारतीय कोली समाज के अध्य्क्ष संजय पुंडीर, बाल्मिकी सभा अचपाल सिंह, दलित शोषण मुक्ति मंच खण्ड नाहन के संयोक विजय चोरियां , नवजीवन बाल्मीकि सभा , युवा विकास क्लब से हरीश कल्याण, के क्रिस्चियन समुदाय से परवीन सोढा, सर्व दलित उत्थान समिति से विनोद कु मार, दलित शोषण मुक्ति मंच के जिला कमेटी सदस्य बिंदुराज व प्रगतिशील संगठनों के लोग इस मौके पर पहुंचे।

 दलित शोषण मुक्ति मंच के जिला संयोजक आशीष कुमार ने कहा कि हम जनजातीय क्षेत्र के विरोध में नही है। परन्तु इस क्षेत्र में जो शोषण कारी कुप्रथाएं है उनकी तरफ  हम भारत सरकार का ध्यान आकर्षित करना चाहते है, ताकि यदि ये जनजातीय क्षेत्र का दर्जा इस क्षेत्र को मिल जाता है तो इस क्षेत्र में रह रहे 154 पंचायतों में 1,76,000 से भी ज्यादा लोगों की जि़ंदगी का प्रश्न सवालों के घेरे में आ जायेगा। क्योंकि जनजातीय क्षेत्र घोषित होने से अनुसूचित जाति वर्ग के 1,76,000 लोगों को सरंक्षण प्रदान करने वाला एट्रोसिटी एक्ट निष्प्रभावी हो जाएगा। साथ ही पंचायती राज में मिलने वाले प्रतिनिधित्व के अवसर भी समाप्त हो जाएंगे। इस वजह से एक बार फि र इस क्षेत्र ने अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों को दासता की तरफ  धकेलना होगा।

क्योंकि जाति के आधार पर उत्पीडऩ की घटनाएं यहां होती रहती है। आंकड़ें बताते है कि पिछले 3 वर्षों में 115  के करीब घटनाएं जिला में हुई जिसमें से 110 सम्बंधित क्षेत्र से है। आशीष कुमार ने कहा कि हाटी समिति के लोग अनुसुचित जाति आयोग के राज्य अध्यक्ष वीरेंद्र कश्यप के जिस बयान की दुहाई दे रहे है। वो आधी अधूरी   बातों को लेकर तर्क दे रहे है । आशीष कुमार ने कहा कि उन्होंने मात्र 7 प्रतिशत मिलने वाले फ ायदे के बारे में बताया है मगर उन्होंने कंही भी एट्रोसिटी एक्ट के जिक्र नही किया। आशीष कुमार ने कहा कि 24 मई के बयान में जो वो जातिगत वैमनस्य फैलाने की बात कर रहे थे। उस संदर्भ में हम उनको याद दिलाना चाहते है कि जब दलितों की हत्याएं और मार पिटाई और बलात्कार जैसी घटनाएं होती है तब ये लोग एक बार भी किसी मुद्दे पर मुखर नही होते ।

आशीष कुमार ने कहा कि क्यों कभी जनजातीय क्षेत्र पर समानता की बात करने वाले इन तथाकथित नेताओं ने क्षेत्र से जातिवाद हटाने के लिये इस तरह की खुमलियाँ और अनुसूचित जाति वर के द्वारा बनाये गए सामूहिक भोज के आयोजन नही किये। यदि इनको समानता की ही बात करनी थी तब सबसे पहले जातिवाद जैसे जहर को खत्म कर समाज के आखरी पायदान पर खड़े लोगों के उत्थान के लिए आगे आए। अगर वो ये भी नही कर सकते तो अपनी हाटी समिति के माध्यम से ये माँग भी उठाए की जनजातीय क्षेत्र के साथ एट्रोसिटी  एक्ट को भी सुरक्षित रखने की मांग हाटी समिति को करनी चाहिए थी। आशीष कुमार ने कहा कि 154 पंचायतों के लाखों लोगों को धोखे में रख कर झूठे साक्ष्यों के आधार पर कभी भी अनुसूचित जाति वर्ग के अधिकारों को खत्म नही होने देंगे।