गांव खतवाड़ विलुप्त होने की कगार पर........डर के साए में जीने को मजबूर है खतवाड गाँव के लोग..... लोग पहुंचे डीसी के द्वार......
अक्स न्यूज लाइन ..नाहन, 22 सितंबर
जिला सिरमौर के गांव खतवाड़ की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है । लगातार ग्रामीणों को गांव के विलुप्त होने का डर सता रहा है । हिमाचल में आई आपदा के बाद भी यहां हो रहे आवैज्ञानिक तरीके से कार्य को रोकने के लिए संबंधित विभाग भी कोई दिलचस्पी नहीं दिख रहे हैं । स्थानीय ग्रामीणों में जहां संबंधित विभागों के खिलाफ रोश पनपा है तो वहीं ग्रामीण डर के साय में जीने को मजबूर हैं । समस्या को लेकर ग्रामीण आज डीसी सिरमौर सुमित खिमटा के द्वारा पहुंचे हैं । जिसमें जल्द से जल्द यहां हो रहे अवैध माइनिंग को रोकने व गांव को किसी अन्य सुरक्षित स्थान पर बसाने की गुहार लगाई है ।
नाहन में मीडिया से रूबरू हुए गांव खतवाड़ के ग्रामीण अतर सिंह ने बताया कि गांव पिछले 3 दशकों से तिल तिल कर खाई की तरफ खिसकता जा रहा है। गांव की सैकड़ो बीघा जमीन और मकान खाई में समा चुके हैं। जबकि लगभग दो दर्जन मकानों में दरारें आ गई है। इनमें से अधिकतर मकान रहने लायक नहीं बचे हैं। ग्रामीणों ने गांव के पास चल रही चूना पत्थर खदानों पर हो रहे अवैज्ञानिक खनन को त्रासदी के लिए जिम्मेदार बताया है। उन्होंने इस दौरान वन विभाग समेत खनन विभाग को भी आड़े हाथों लिया है और यहां विभागों पर आवैज्ञानिक तरीके से किए जा रहे खनन माफिया की पैरवी करने के आरोप लगाए हैं।
उन्होंने कहा कि शिकायत करने पर भी विभाग कार्रवाई नहीं करते हैं । उन्होंने कहा कि यहां संबंधित खदान लगातार नियमों को ताक पर रख कर कार्य कर रही है । हरे भरे पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलाई जा रही है । वन विभाग की भूमि से हजारों बेश कीमती पेड़ काट दिए गए हैं लेकिन वन विभाग के अधिकारी एक बार भी मौके पर नहीं पहुंचे हैं। इसी प्रकार खनन माफिया के जिलाधिकारियों का हाल हैं । ग्रामीणों ने माइनिंग ऑफिसर पर तो झूठ बोलने तक के आरोप लगाए हैं।
उन्होंने आरोप लगाया अगर यहां चलाई जा रही खदान मालिकों से समस्या को लेकर बात करने जाएं या फिर प्रशासन को शिकायत करें तो यह लोग गुंडागर्दी पर उतर आते हैं स्थानीय ग्रामीणों को जहां डराते धमकाते हैं तो वहीं जान से मरने तक की धमकियां दी जाती है उन्होंने कहा कि यह खदान मालिक जहां सरकारी भूमि पर अभी कब्जे कर और आवैज्ञानिक तरीके से कार्य कर रहे हैं तो वहीं गांव के लोगों की भी भूमि पर अवैध कब्जे कर लगातार नियमों का ताक पर रखकर कार्य किया जा रहा है जिसका खामियाजा स्थानीय ग्रामीणों भुगतना पड़ रहा है ।