केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सिरमौर के गिरीपार समेत देश के 5 राज्यों के अलग-अलग क्षेत्रों को जनजाति क्षेत्रों का दर्जा

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने  सिरमौर के गिरीपार समेत देश के 5 राज्यों के अलग-अलग क्षेत्रों को जनजाति क्षेत्रों का दर्जा

नाहन आखिरकार जिला सिरमौर के गिरी पार क्षेत्र के साथ दशक पुरानी मांग को हरी झंडी मिल गई है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जिला सिरमौर के गिरीपार समेत देश के 5 राज्यों के अलग-अलग क्षेत्रों को जनजाति क्षेत्रों का दर्जा दिया है। गौर हो कि 60 के दशक में उत्तराखंड के जौनसार बावर को जनजाति क्षेत्र का दर्जा मिला था तब से ही जिला सिरमौर का गिरीपार क्षेत्र का समुदाय अपने वजूद की जंग लड़ रहा था , लेकिन किसी भी सरकार ने जिला सिरमौर के इस मुद्दे को अमलीजामा नहीं पहनाया। 
इस वर्ष भारतीय जनता पार्टी ने इस संघर्ष को और जन भावनाओं को समझते हुए करीब तीन लाख हाटी समुदाय के लोगों को उनका हक दिला दिया। गौर हो कि जिला सिरमौर का हाटी समुदाय 7 दशक से इस मांग को लेकर अलग-अलग मंचों पर संघर्ष करता रहा। मजेदार बात यह है कि जिस प्रकार देव भूमि हिमाचल खासकर जिला सिरमौर के लोगों को अपने शांत स्वभाव के लिए जाना जाता है। 
उसी का परिचय देते हुए हाटी समुदाय ने ना तो कभी सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया और ना ही अन्य आंदोलनों की तर्ज पर सड़क अथवा किसी मार्ग को जाम किया या यूं कहें कि हाटी समुदाय के लोगों ने केवल मात्र पत्राचार और अपनी भावनाओं को राजनेताओं के समक्ष प्रस्तुत किया। इसी का परिणाम है कि आज घाटी समुदाय को जनजातीय क्षेत्र का दर्जा मिल गया। 
साथ ही केंद्रीय हाटी संघर्ष समिति की मेहनत और भारतीय जनता पार्टी के शिलाई से पूर्व में विधायक रहे और वर्तमान में हिमाचल प्रदेश सरकार में खाद्य आपूर्ति निगम के उपाध्यक्ष बलदेव तोमर की मेहनत रंग लाई। आपको बता दें कि जनवरी माह में शिलाई में आयोजित हाटी की महा खुमली में भले ही तमाम नेताओं ने हाटी समुदाय को जनजाति दर्जा देने को लेकर हामी भरी थी , लेकिन जैसे जैसे यह मांग सिरे चढ़ती गई तो कांग्रेस के नेताओं ने इससे किनारा करना शुरू कर दिया। 
गत दिनों पूर्व विधायक बलदेव तोमर ने कमरऊ और रेणुका में आयोजित हाती महा खुमली में ऐलान किया था कि अगर चुनाव से पूर्व जिला सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र को जनजाति क्षेत्र का दर्जा न दिला सका तो वह जनता के बीच वोट मांगने नहीं जाएंगे और ना ही चुनाव लड़ेंगे , जिसके चलते आज उनकी मेहनत रंग लाई और गिरिपार के तीन लाख से अधिक की जनता को उनका वर्षो पुराना हक मिला।