एससी-एसटी पर अत्याचार के मामलों की जांच एवं अभियोजन में न हो देरी

उपायुक्त ने बताया कि इस समय जिला में अधिनियम के तहत दर्ज 34 मामले विभिन्न अदालतों में विचाराधीन हैं। 31 मामलों की कैंसलेशन रिपोर्ट्स भी अभी विभिन्न अदालतों में विचाराधीन हैं। 8 मामलों में पुलिस जांच कर रही है। दो मामलों के आरोपी बरी हो चुके हैं। इन कुल 75 मामलों के अलावा एक मामले की कैंसलेशन रिपोर्ट को लेकर भी बैठक में चर्चा की गई।
उपायुक्त ने कहा कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम में कड़े प्रावधान किए गए हैं। इन मामलों की जांच और अभियोजन में अनावश्यक विलंब नहीं होना चाहिए। अगर कोई मामला लंबे समय से अदालत में लंबित है तो उसका नियमित रूप से फॉलोअप किया जाना चाहिए, ताकि पीड़ित को न्याय मिल सके। अधिनियम के तहत दर्ज मामलों की सूचना तुरंत सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अधिकारियों को देनी चाहिए, ताकि पीड़ित को राहत राशि प्रदान की जा सके।
इस अवसर पर समिति के गैर सरकारी सदस्यों ने भी विभिन्न मामलों पर अपनी राय रखी। समिति के सदस्य सचिव एवं जिला कल्याण अधिकारी रमेश चंद बंसल ने विभिन्न मामलों का विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत किया।