अक्स न्यूज लाइन शिमला 27 जून :
शिमला पुस्तक मेले में हिमाचल प्रदेश के लेखकों की पुस्तकों के संचयन एवं प्रदर्शनी के लिए आधार प्रकाशन पंचकूला के लिए चर्चा का विषय बना हुआ है। शिमला के रिज पर आयोजित किए गए राष्ट्रीय पुस्तक मेला में आधार प्रकाश की स्टाल पर एस आर हरनोट, मोहन साहिल, गुरुदत्त, राजकुमार राकेश हुकुमचंद आदि हिमाचल के लोकप्रिय लेखकों की पुस्तकें विक्रय के लिए उपलब्ध हैं और मेले में इनका विक्रय भी हो रहा है।
आधार प्रकाशन के निदेशक देश निर्मोही ने बताया कि हिमाचल के लेखकों को प्रोत्साहन और सम्मान प्रदान करना आधार प्रकाशन की हमेशा प्राथमिकता रही है। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा हिमाचल प्रदेश के लेखकों की प्रकाशित की गई पुस्तकों में एस आर हरनोट की हिडिंब, मिट्टी के लोग काफी चर्चित रही हैं, वही विक्रम मुसाफिर की श्रीवन और मोहन साहिल की देवदार रहेंगे मौन पाठकों में चर्चित हैं।
पुस्तक मेले के दौरान ही मोहन साहिल की प्रकाशित पुस्तक का लोकार्पण आधार प्रकाशन के स्टॉल पर शिक्षा मंत्री श्री रोहित ठाकुर द्वारा द्वारा किया गया है। हिमाचल के कवि मोहन साहिल के दूसरे कविता संग्रह "देवदार रहेंगे मौन" का लोकार्पण प्रदेश के शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने पुस्तक मेले के दौरान किया।
वाणी प्रकाशन, राजपाल एंड सन तथा निखिल प्रशासन द्वारा भी हिमाचल के लेखकों की पुस्तक प्रकाशित की गई हैं जो उनके स्टाल पर देखी जा सकती हैं। वाणी प्रकाशन के स्टाल पर एसआर हरनोट के बहुचर्चित उपन्यास नदी रंग जैसी लड़की और कीले कहानी संग्रह की काफी मांग हो रही है।
निखिल प्रशासन द्वारा भारतीय कुठियाला द्वारा संपादित बगीशा विक्रय के लिए उपलब्ध है जिसमें हिमाचल की महिला कथाकारों द्वारा लिखित कहानियां का संग्रह है। मेले के दौरान पुस्तकों के लोकार्पण, समीक्षा और परिचर्चा के लिए भी साहित्य उत्सव का आयोजन किया गया है, जिसमें विभिन्न संस्थाओं की भागीदारी हो रही है।
साहित्यिक कार्यक्रमों के लिए भाषा संस्कृति विभाग द्वारा कॉन्फ्रेंस हॉल संस्थाओं को निशुल्क उपलब्ध करवाया जा रहा है। इस प्रकार देखा जाए तो पुस्तक मेले में जहां हिंदी और अंग्रेजी की सभी विधाओं में पुस्तकों का अंबार लगा है, वहीं हिमाचल प्रदेश के लेखकों की भी कविता, कहानी, उपन्यास और अन्य विधाओं पर अनेक पुस्तकें विक्रय के लिए मौजूद हैं जो राष्ट्रीय स्तर पर हिमाचली लेखन की उपस्थिति को दर्ज करने के लिए पर्याप्त हैं।