सरकार ने जारी नही की कौशल विकास भत्ते की राशि: संस्थान बन्द होने के कगार पर, डीसी को ज्ञापन सौंपा...

अक्स न्यूज लाइन, नाहन 15 मई :
हिमाचल प्रदेश सरकार की बहुप्रचारित "कौशल विकास भत्ता योजना" इस समय गंभीर संकट के दौर से गुजर रही है। सिरमौर जिले में सैकड़ों लाभार्थी युवाओं को जनवरी 2025 से अब तक कोई भी वित्तीय सहायता प्राप्त नहीं हुई है, जिससे न केवल प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे विद्यार्थियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि योजना से जुड़े कई संस्थान भी बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं।
इस विकट स्थिति को लेकर नाहन में जिले के विभिन्न कौशल विकास संस्थानों के पदाधिकारियों और विद्यार्थियों ने एकत्र होकर जिलाधीश महोदया को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में उन्होंने मांग की है कि लंबित भत्ते की राशि को शीघ्र जारी किया जाए ताकि प्रशिक्षण केंद्रों की संचालन व्यवस्था फिर से पटरी पर आ सके।
संस्थान संचालकों का कहना है कि इस योजना के तहत विद्यार्थियों को हर माह एक निश्चित राशि प्रदान की जाती थी, जिसका उपयोग वे परिवहन, स्टेशनरी और प्रशिक्षण शुल्क जैसे खर्चों में करते थे। लेकिन पिछले चार महीनों से भत्ता न मिलने के कारण विद्यार्थी संस्थानों को फीस नहीं दे पा रहे, जिससे संस्थानों की आर्थिक रीढ़ टूटती जा रही है।संस्थान संचालकों ने यह भी बताया कि योजना के अंतर्गत एक विशेष वर्ग को मिलने वाला भत्ता तो पिछले वर्ष जुलाई से ही लंबित है।
कई संस्थान किराए की इमारतों में संचालित हो रहे हैं और अब उनके लिए मासिक किराया, स्टाफ सैलरी, बिजली बिल और अन्य खर्चे उठाना भी कठिन हो गया है। वहीं, विद्यार्थियों की उपस्थिति भी तेजी से घट रही है, जिससे उनके कौशल विकास पर सीधा असर पड़ रहा है।
एक लाभार्थी युवती ने बताया कि जनवरी से उन्हें कोई भत्ता नहीं मिला है। इस कारण उन्हें संस्थान की फीस जमा करने में समस्या हो रही है और कई अन्य व्यक्तिगत जरूरतें भी अधूरी रह जा रही हैं। उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि वह शीघ्र इस दिशा में उचित कदम उठाए।
संस्थान पदाधिकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र समाधान नहीं निकाला गया, तो न केवल सैकड़ों विद्यार्थियों का भविष्य अधर में लटक जाएगा, बल्कि राज्य की कौशल विकास योजना की सार्थकता भी समाप्त हो जाएगी।
इस मुद्दे पर संस्थान प्रतिनिधियों ने भरोसा जताया कि जिलाधीश महोदया इसे गंभीरता से लेते हुए उच्च अधिकारियों और राज्य सरकार तक बात पहुंचाएंगी और लंबित राशि का भुगतान सुनिश्चित करवाएंगी। सभी संचालकों ने सरकार से तत्काल हस्तक्षेप और सहयोग की मांग की है, ताकि युवाओं का भविष्य सुरक्षित रह सके और संस्थानों की कार्यप्रणाली बहाल की जा सके।