हैरत:आजादी के 75 साल बाद भी ग्रामीण बरसात में उफनते मारकंडा को पार करने पर मजबूर नही बना पुल, डाडूवाला गांव काले पानी से कम नही......

अक्स न्यूज लाइन नाहन 27 जुलाई : अरुण साथी
आजादी के 75 साल बीत जाने के बाद भी नाहन विधानसभा क्षेत्र के विक्र्रम बाग के तहत आने वाला डाडूवाला गांव काले पानी से कम नही है। हैरत है कि ग्रामीण बरसात में उफनती मारकंडा नदी को जानजोखिम में डाल कर पार कर रहे है। बुजुर्ग महिलाओं, पुरूषों को पीठ पर लाद कर नदी पार करनी पड़ रही है। मानसून के दौरान मारकंडा नदी का जलस्तर बढ़ जाता है और जंगल का कच्चा रास्ता कीचड़ व जलभराव से बंद हो जाता है। ऐसे में गांव का बाहरी दुनिया से संपर्क पूरी तरह टूट जाता है। आपातकालीन सेवाएं तक ठप हो जाती हैं।
हर वर्ष बारिश से पहले ग्रामीणों को राशनए दवाइयां और अन्य आवश्यक सामान पहले से स्टोर करने पड़ते हैंए क्योंकि बारिश के दौरान गांव से बाहर निकलना लगभग असंभव हो जाता है। उधर ग्रामीणों ने बताया कि क्षेत्र के विधायक के यहां फुट ब्रिज बनाने के लिए 28 लाख के एस्टीमेट बारे निर्देश लटके है।
ग्रामीणों का आरोप है कि आजादी के बाद वोट बटोर सत्ता सुख भोगने वाले नेताओं ने डाडूवाला गांव को विकास के उजाले से दूर रखा है।
आलम यह है कि डाडूवाला गांव आज भी बुनियादी सुविधाओं की गंभीर कमी से जूझ रहा है। गांव में नदी पर पुल और पक्की सड़क जैसी आवश्यक सुविधाएं अब तक उपलब्ध नहीं हैंए जिससे स्थानीय लोगों को रोजाना अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। सियासी नेता वोट झटकने के लिए विकास के दावे करते आए है, मुलभूत सुविधाऐं देने के आश्वासन दे वापस नही लौटते।
ग्रामीण उषा ठाकुर, यशवंत सिंह ठाकुर, रणबीर ठाकुर, महावीर ठाकुर, करणवीर ठाकुर, शशवत ठाकुर, रेखा ठाकुर, लियाकत अली, कसम अली, रमज़ान, नजऱ, शेर अली, यासीन, आलम अली, सुलैमान, जेतून, जिया, फज़ली बानो, हिमांशु ठाकुर, राहुल ठाकुर समे त अन्य ग्रामीणों आरोप लगाया कि लंबे समय से इन बुनियादी समस्या को उठाते आ रहे हैं। सियासी नेताओं, सरकार व जिला प्रशासन ने आज तक को ई हल नही निकाला।
उन्होने बताया कि डाडूवाला से बाहर आने जाने के केवल तीन रास्ते हैं। दो रास्ते मारकंडा नदी के किनारे से और एक जंगल के कच्चे मार्ग से होकर। ये तीनों रास्ते असुरक्षित हैं और बरसात में इनमें से कोई भी उपयोगी नहीं रहता। गांव के अधिकांश परिवार डेयरी कार्य से जुड़े हैं और सैकड़ों किलो दूध प्रतिदिन पास के शहरों में भेजते हैं। बारिश में रास्ता खराब होने के कारण दूध समय पर नहीं पहुँच पाता और बर्बाद हो जाता हैए जिससे ग्रामीणों को रोज़ाना आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।
गांव को जोडऩे वाली मुख्य सड़क अम्बवाला-डाडूवाला मार्ग अब भी कच्ची और बदहाल है। बरसात के दिनों में इस रास्ते पर पैदल चलना तक संभव नहीं होता। कीचड़, गड्ढे और पानी भराव के कारण स्कूली बच्चों, मरीजों और सामान्य नागरिकों को गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। सरकार व जिला प्रशासन को चाहिए कि समय रहते गांव के लिए एक अदद फु ट ब्रिज के निर्माण के आदेश दें।