पहली शिक्षक-माँ” कार्यक्रम के तहत जिला सिरमौर के 300 से अधिक स्कूलों में मदर मीटिंग का आयोजन

पहली शिक्षक-माँ” कार्यक्रम के तहत जिला सिरमौर के 300 से अधिक स्कूलों में मदर मीटिंग का आयोजन

अक्स न्यूज लाइन नाहन 23 फरवरी :   

प्री-प्राइमरी कार्यक्रम में “पहली शिक्षक-माँ” पहल के तहत जिला के लगभग 300 से अधिक प्री-प्राइमरी कक्षाएं चला रहे प्राथमिक पाठशालाओं में बच्चों की माताओं के साथ स्कूल स्तर पर फरवरी माह की मासिक बैठकों का आयोजन किया गया | इन बैठकों में प्रत्येक स्कूल में दर्जनों माताओं ने सहभाग किया | इन बैठकों में माताओं के साथ अध्यापकों द्वारा संवाद किया गया और माताओं को आसान गतिविधियाँ बताई गई जिन्हें वह आसानी से घर पर अपने बच्चों के साथ करवा सकती हैं | 

डाइट नाहन के जिला परियोजना अधिकारी एवं प्रधानाचार्य हिमांशु भारद्वाज के नेतृत्व में एक टीम के द्वारा शिक्षा खंड माजरा के विभिन्न स्कूलों में जाकर स्वयं इन बैठकों का निरीक्षण भी किया गया | इस टीम द्वारा अध्यापकों और माताओं के साथ बातचीत की गई और बैठकों में गुणवत्ता लाने के लिए आवश्यक निर्देश भी दिए गए | माताओं को अधिक से अधिक संख्या में बैठकों में हिस्सा लेने के लिए प्रोत्साहित भी किया गया | इस टीम में प्री-प्राइमरी जिला कोऑर्डिनेटर फतेह पुंडीर, BEEO माजरा ब्लॉक अंजु बाला, प्री-प्राइमरी कोर ग्रुप सदस्य (KRP) सदस्य अजय गुप्ता और प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन की टीम शामिल रही | 

डाइट से प्री-प्राइमरी जिला कोऑर्डिनेटर फतेह पुंडीर ने बताया कि सरकार द्वारा पुरे प्रदेश भर में प्री-प्राइमरी बच्चों की माताओं को बच्चों की शिक्षा से जोड़ने के लिए “पहली शिक्षक-माँ’ कार्यक्रम चलाया जा रहा है जिसके तहत प्रत्येक स्कूल में माताओं के साथ मासिक बैठकों का आयोजन किया जाता है | इन बैठकों में एक एजेंडा कार्ड का इस्तेमाल किया जाता है जिसके माध्यम से माताओं को अनेकों गतिविधियाँ करवाई जाती है जिन्हें वह घर पर अपने बच्चों के साथ करवा सकती हैं | इन बैठकों का उदेश्य माताओं को बच्चे की शिक्षा में भागिदार बनाना और बच्चों के साथ गतिविधियाँ करवाने में सक्षम बनाना है | इसके अलावा उन्हें साप्ताहिक तौर पर (सप्ताह में दो बार) व्हाट्सएप के माध्यम से सामग्री भी साझा की जा रही है | 

उनके अनुसार जिला सिरमौर में इस कार्यक्रम को पूर्ण रूप से सफल बनाने की कोशिश की जा रही है जिसमें अध्यापकों एवं अभिभावकों खासकर माताओं का विशेष योगदान मिल  रहा है।