क्योंथल रियासत का भ्रमण पूरा होने पर डूमेश्वर देवता लौटे गुठान..... 20 से 22 मई को गुठान में होगा डूमेश्वर देवता का महा देवयज्ञ......

क्योंथल रियासत का  भ्रमण पूरा होने पर डूमेश्वर देवता लौटे गुठान.....       20 से 22 मई को गुठान में होगा डूमेश्वर देवता का महा देवयज्ञ......

  अक्स न्यूज लाइन ..शिमला, 16 मई -  2023
 बीते पांच वर्षों से  क्योंथल रियासत के भ्रमण पर निकले डूमेश्वर देवता अब अपने मूल स्थान गुठान पहूंच चुके है । देवता के वापिस लौटने पर आगामी 20 से 22 मई तक गुठान में महा  देवयज्ञ जिसे स्थानीय भाषा में भडातर कहते हैं  आयोजित किया जा रहा  है जिसमें क्षेत्र के करीब डेढ दर्जन देवता और हजारों की तादाद में लोग  अपनी हाजरी भरेंगे । जिसकी पुष्टि देवता गुठान मंदिर समिति के प्रधान मधु ठाकुर और भंडारी सुभाष ने की है । इनका कहना  है कि कोरोना काल के कारण इस मर्तबा क्योंथल क्षेत्र की 22 रियासतों और 18 ठकुराईयों के भ्रमण में करीब पांच वर्ष लग गए है अन्यथा यह देवयात्रा तीन वर्षों में पूर्ण हो जाती थी ।
सुभाष भंडारी  ने बताया कि भ्रमण के दौरान  डूमेश्वर देवता के रथ  की चार सौ  अधिक गांवों में जातरंे निकाली गई जिसमें सैंकड़ों लोगों ने देवता का आर्शिवाद प्राप्त किया । उन्होने बताया कि डूमेश्वर देवता तत्कालीन क्योंथल रियासत के महाराजा के वचनबद्ध होकर बीस वर्षों बाद समूचे क्षेत्र का भ्रमण पर निकलते । हालांकि अभी तक देवता को अपने मंदिर में नहीं रखा गया है ।  प्राचीन परंपराओं के निर्वहन के उपरांत करीब एक वर्ष उपरांत देवता  अपने मंदिर में विराजमान होगें । बता दें कि अभी तक देवता गंुठान के कोटेश्वरी माता के मंदिर में रखे गए हैं  । सुभाष भंडारी ने बताया कि भडातर होने के बाद 24 जून को  डूमेश्वर देवता को स्नान लिए माता हाटेश्वरी के मंदिर हाटकोटी ले जाया जाएगा। तदोंपरात खीण खुलने पर लोग देवता की अपने घर बुलाकर पूजा करवा सकेंगे । खीण खुलने के उपरांत देवता पालकी में विराजमान होगें जिसमें केवल चार प्रमुख मूर्तियां रखी जाएगी  । जबकि देवरथ में अभी कुल 13  मूर्तिया अर्थात मोहरे लगे हैं जिसमें एक अहिचा ब्राह्मण का पुतला भी शामिल है ।
सुभाष भंडारी ने बताया कि अगले वर्ष चैत्र नवरात्रें को डूमेश्वर देवता को कांगड़ा के नगरकोट धाम भ्रमण पर ले जाया जाएगा । नगरकोट में स्नान करने के उपरांत देवता अपने मंदिर गुठान में विराजमान होगें । बताया कि  जिन क्षेत्रों भ्रमण कर देवता वापिस लौटे  है उन सभी क्षेत्र के लोगों को महा देवयज्ञ अर्थात भडातर में आमंत्रित किया गया है ।