हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी, कालाअंब में पारंपरिक हर्बल मेडिसिन को आधुनिक चिकित्सा नवाचारों से जोड़ना विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
अक्स न्यूज लाइन नाहन , 21 अक्तूबर :
हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ फार्मेसी, कालाअंब ने एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया, जिसका विषय था "उदयीमान प्रवृत्तियाँ फाइटोकैमिस्ट्री में पारंपरिक हर्बल चिकित्सा को आधुनिक चिकित्सीय नवाचारों से जोड़ना"। इस कार्यक्रम में प्रोफेसर शशि कुमार धीमान को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया, जबकि प्रो. रिचा श्री, प्रो. अलका बाली और डॉ. अश्वनी के. जांगड़ा वक्ता के रूप में शामिल हुए।
कार्यक्रम की शुरुआत में हिमालयन ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन श्री राजनीश बंसल और वाइस- चेयरमैन श्री विकास बंसल ने प्रोफेसर आर. बी. शर्मा के साथ मिलकर सभी अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने अपने स्वागत भाषण में हर्बल पौधों के महत्व और उनकी आवश्यकता पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने बताया कि कैसे हर्बल दवाएं मानव उपयोग के लिए प्रभावी हैं। हर्बल दवाओं के प्रभाव क्या हैं और भविष्य में हर्बल दवाओं के क्या दायरे हैं
सम्मेलन में प्रतिष्ठित वक्ताओं ने हर्बल दवाओं और उनके निर्माण के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार प्रस्तुत किए। प्रो. अलका बाली ने हर्बल पौधों के महत्व और उनके औषधीय उपयोगों पर प्रकाश डाला। प्रो. रिचा श्री ने नए पौधों पर अध्ययन कैसे करना चाहिए और अनुसंधान के सही तरीकों पर चर्चा की। डॉ. अश्वनी के. जांगड़ा ने नई दवाओं के अनुप्रयोग और दवाओं के प्रतिकूल प्रभावों (ADRs) के बारे में जानकारी साझा की।
संगोष्ठी में कई छात्रों ने ओरल प्रतियोगिता और पोस्टर प्रस्तुति में भाग लिया। ओरल प्रस्तुति में, प्रथम स्थान पर एम.एम. कॉलेज ऑफ फार्मेसी, मुलाना के मयंक गुप्ता रहे। दूसरे स्थान पर हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ फार्मेसी की साक्षी यादव और तीसरे स्थान पर हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ फार्मेसी के कुलदीप और पायुष कुमार रहे। वहीं, पोस्टर प्रस्तुति में हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ फार्मेसी की बबीता, श्रुति, और कुलदीप ने पहला स्थान प्राप्त किया। एल.आर. इंस्टिट्यूट ऑफ फार्मेसी, सोलन के आयुष, पियूष, और अंशिका ने दूसरा स्थान और हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ फार्मेसी की वंशिका, सना, और कृतिका ने तीसरा स्थान प्राप्त किया।
इस आयोजन में छात्रों और विशेषज्ञों के बीच हर्बल औषधियों के क्षेत्र में नवीनतम जानकारी और अनुभवों का आदान-प्रदान हुआ, जिससे सभी को पारंपरिक और आधुनिक चिकित्सा के बीच सामंजस्य को समझने का अवसर मिला।