प्रदेश सरकार गुणवत्तापूर्ण दवाएं उपलब्ध करवाने के लिए प्रतिबद्ध: स्वास्थ्य मंत्री
उन्होंने कहा कि गुणवत्तापूर्ण दवाईयां तैयार न करने की स्थिति में दवा कम्पनियों के सम्बंधित उत्पाद को एक से दो माह की अवधि के लिए निलम्बित कर दिया जाता है और इसके साथ ही जिन राज्यों में निरीक्षण अधिकारियों के द्वारा ऐसे सेम्पल एकत्रित किए गए उनके अधिकार क्षेत्र में कम्पनियों के विरूद्ध न्यायालय में कानूनी प्रक्रिया अमल में लाई जाती है। कम्पनियों को उनके विनिर्माण प्रक्रिया की समीक्षा के निर्देश जारी किए जाते हैं।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि हिमाचल देश का फार्मासुटिकल हब है और प्रदेश में लगभग 33 प्रतिशत दवाओं का निर्माण किया जाता है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा किए गए सर्वे के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर नॉट-ऑफ-स्टैंडर्ड क्वालिटी की प्रतिशतता 3.16 प्रतिशत है, इसकी तुलना में गत तीन वर्षों के दौरान प्रदेश की प्रतिशतता 1.22 प्रतिशत है जोकि राष्ट्रीय प्रतिशतता से 50 प्रतिशत से भी कम है। उन्होंने कहा कि अवमानक गुणवत्ता के रूप में घोषित किए गए नमूनों से सम्बंधित डाटा केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन को प्रस्तुत किया जाता है जिसे नियमित रूप से वैबसाइट में प्रदर्शित किया जाता है ताकि लोगों को अवमानक दवाइयों की जानकारी मिल सके।
बैठक में प्रदेश के दवा विक्रेताओं को नशे में दुरूपयोग होने वाली सम्भावित दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने पर पर्ची पर स्टेंप लगाने की आवश्यकता पर भी विचार विमर्श किया गया ताकि एक ही पर्ची पर बार-बार दवाओं की खरीद को रोका जा सके।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि बच्चों में नशीली दवाओं की आदत एक गम्भीर विषय है। बच्चों को बिना पर्ची के दवाएं उपलब्ध करवाने की दिशा में सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है और जन जागरूकता फैलाकर इस प्रकार की समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता है। बैठक में स्वास्थ्य सचिव एम.सुधा देवी, राज्य ड्रग नियंत्रक मनीष कपूर और विभिन्न जिलों के ड्रग नियंत्रक अधिकारियों ने भाग लिया।