अक्स न्यूज लाइन शिमला 14 नवम्बर :
एसएफआई पिछले लंबे समय से यह मांग कर रही है कि विश्वविद्यालय में लगातार प्रोफेसरो के द्वारा राजनीतिक गतिविधियों में भाग लिया जा रहा है विश्वविद्यालय में प्रोफेसर कक्षाओं से ज्यादा राजनीतिक गतिविधियों में भाग ले रहे हैं। इस मुद्दे को लेकर आज एस एफ आई विश्वविद्यालय इकाई द्वारा डी एस पर दबाव बनाने का काम किया एसएफआई का साफ तौर पर यह मानना है कि प्रोफेसर के द्वारा किसी भी तरह की राजनीतिक गतिविधियों में भाग नहीं लिया जाना चाहिए इससे विश्वविद्यालय में शैक्षणिक माहौल खराब होता है ।
इस मुद्दे पर बात रखते हुए कैंपस सचिव रितेश में कहां कि बी.एड विभाग के अंदर एक प्रोफेसर लगातार एबीवीपी के कार्यक्रमों में शामिल हैं रितेश का कहना है कि यह प्रोफेसर एबीवीपी का राज्य अध्यक्ष है जो विश्विद्यालय में लगातार एबीवीपी के कार्यक्रमों में भाग ले रहा है तथा विश्वविद्यालय में एबीवीपी की बैठकों को करवा रहा है। रितेश का कहना है कि ABVP विश्वविद्यालय के अध्यादेश के अनुसार एक राजनीतिक संगठन है, कोई भी शिक्षक और गैर-शिक्षण कर्मचारी किसी भी राजनीतिक गतिविधियों में भाग नहीं ले सकता है, लेकिन डॉ राकेश कुमार ABVP के राज्य अध्यक्ष भी हैं।
एस एफ आई का कहना है कि विश्वविद्यालय अध्यादेश कहता है: शुरू में विश्वविद्यालय के किसी भी कर्मचारी को राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने की अनुमति नहीं थी। लेकिन 1982-83 में तत्कालीन कुलपति एल.पी. सिन्हा ने अध्यादेश में संशोधन करके शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को विश्वविद्यालय से छुट्टी लेकर विधानसभा और संसदीय चुनाव लड़ने की स्वतंत्रता दे दी, जैसा कि कई अन्य विश्वविद्यालयों में दी गई थी। शिक्षकों को न केवल चुनाव लड़ने की अनुमति दी गई, बल्कि निर्वाचित होने की स्थिति में उन्हें असाधारण अवकाश का भी अधिकार दिया गया, या हारने की स्थिति में वे पुनः अपना कार्यभार संभाल सकते थे। हालांकि, 1985 में विश्वविद्यालय के एक गैर-शिक्षण कर्मचारी द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ने के बाद अध्यादेश में फिर से संशोधन किया गया। संशोधन के तहत केवल गैर-शिक्षण कर्मचारियों को ही चुनाव लड़ने से रोक दिया गया। ।
अध्यादेश में एक और संशोधन किया गया तथा 24 अक्टूबर 2014 को एक नई अधिसूचना जारी की गई, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया कि "न तो शिक्षक और न ही विश्वविद्यालय के अन्य कर्मचारी किसी भी राजनीतिक गतिविधि में भाग लेंगे"।
फिलहाल शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की मांग के बाद हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद ने सिफारिश की है कि उन्हें चुनाव लड़ने की अनुमति दी जाए, लेकिन अभी तक उसमें कुलाधिपति की अंतिम मंजूरी का इंतजार है।
एस एफ आई ने आगे कहा कि हाली के अंदर शिक्षा विभाग के अंदर काउंसलिंग हुई जिसके अंदर विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा ईडब्ल्यूएस के रिजर्वेशन को पूरी तरह से खत्म किया गया शिक्षा विभाग एमएड के अंदर ईडब्ल्यूएस के उम्मीदवार को दाखिला नहीं दे रहा है हालांकि 103वे संविधान संशोधन के बाद भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने देश के हर इंस्टीट्यूट को आदेश दिए कि EWS कोटा लागू होना चाहिए लेकिन HPU शिमला रिजर्वेशन रोस्टर को सही ढंग से लागू नहीं कर रहा है जिसके चलते शिक्षा विभाग में EWS से संबंधित छात्रों के हकों को दरकिनार किया जा रहा है तथा 2019 से लेकर अब तक EWS कोटा को लागू नहीं किया जा रहा है।
एसएफआई हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई ने चेतावनी देते हुए कहा कि जो प्रोफेसर कक्षाओं में न जाकर राजनीतिक गतिविधियों में भाग ले रहे हैं उन प्रोफेसरो पर कड़ी से कड़ी कारवाई की जाए तथा EWS कोटा को लागू किया जाए जो छात्र EWS से संबंधित है उन छात्रों के हकों को दरकिनार न किया जाए अन्यथा एस एफ आई सभी छात्रों को लाभबंद करके प्रशासन के खिलाफ उग्र आंदोलन करेगी जिसका जिम्मेदार स्वयं प्रशासन होगा ।