शिक्षण संस्थानों से कम्युनिस्ट विचारधारा को बैन करना चाहिए - अभाविप
अक़्स न्यूज लाइन,शिमला --21 अप्रैल
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई के इकाई अध्यक्ष गौरव कुमार ने एक ब्यान जारी करते हुए कहा है कि इतिहास के सबक बताते हैं कि किसी भी विचारधारा ने साम्यवाद से अधिक खून नहीं बहाया है, हत्याएं अन्य सभी फासीवादी विचारधाराओं से एक पायदान ऊपर हैं।
विश्व स्तर पर, यह हिंसा, क्रूरता और अधिनायकवाद का पर्याय है। इस पुरानी विचारधारा के मशाल वाहक, स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया उर्फ स्टैबिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) भारत भर के सभी कॉलेज परिसरों में यही कर रहा है। सबूत बताते हैं कि जहां भी एसएफआई मौजूद है, वहां हिंसा और हत्या होगी, चाहे वह केरल हो, पश्चिम बंगाल हो, यहां तक कि आंध्र प्रदेश,तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय ही क्यों न हो। इसे स्टालिनवादी यूएसएसआर या माओवादी चीन का स्वाभाविक परिणाम माना जा सकता है जहां असहमति और विरोध की आवाज को पार्टी और राज्य की सख्ती से कुचल दिया जाता था।
उन्होंने बताया कि संकटपूर्ण कॉल का तुरंत जवाब देते हुए, दक्षिण परिसर के एबीवीपी सदस्य जय की सहायता के लिए दौड़ पड़े, जिसका लक्ष्य उसे तत्काल चिकित्सा देखभाल प्रदान करना था जिसकी उसे तत्काल आवश्यकता थी। फिर भी, उनके नेक प्रयास को एसएफआई के नेतृत्व वाली भीड़ के उग्र विरोध का सामना करना पड़ा, जिससे पहले से ही अस्थिर स्थिति खतरनाक ऊंचाइयों तक पहुंच गई।
पदाधिकारियों सहित एबीवीपी सदस्यों को इस क्रूर हमले का खामियाजा भुगतना पड़ा, उन्हें एसएफआई के अपने साथियों के हाथों शारीरिक हिंसा और मौखिक उत्पीड़न सहना पड़ा। परिणाम गंभीर थे, एबीवीपी के कई सदस्यों को चोटें आईं, जिसके लिए तत्काल अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।