व्यंग्य : प्रभात कुमार रविवार को त्योहार की छुट्टी

व्यंग्य : प्रभात कुमार रविवार को त्योहार की छुट्टी

रविवार को त्योहार की छुट्टी
यह ख़्वाब बहुत लोग देखते आए हैं कि सिर्फ एक बार मिली ज़िंदगी से, कुछ दिन के लिए भगदड़ की छुट्टी कर दी
जाए तो मज़ा आ जाए । कोशिश भी करते हैं लेकिन अधिकांश बंदे आम तौर पर फेल हो जाते हैं और समझते हैं
कि पास हो गए । कुछ भी हो, सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक या आर्थिक भाग दौड़ के बावजूद, सरकारी
कर्मचारियों के जीवन में छुट्टियों के गन्नों का मीठा स्वादिष्ट रस निरंतर बहता रहता है। कई बार, त्योहार या
उत्सव, उचित भाग्यवर्धक नक्षत्रों में आने के प्रशंसनीय संयोग से, सरकारी दफ्तर, एक सप्ताह के लिए भी अचेत हो
जाया करते हैं । यह गणना हो चुकी है कि इस बरस फलां सप्ताह एक छुट्टी लेकर चार हो जाएंगी। अमुक महीने
में दो अवकाश लेकर, पूरा हफ्ता घूमने विदेश भी जा सकते हैं । गणतन्त्र दिवस व स्वतन्त्रता दिवस तो कितने
दशकों से हमारी प्रिय, राष्ट्रीय छुट्टियाँ हैं ही।
छुट्टियों के खलिहान में होने वाले अप्रत्याशित नुकसान का अंदाज़ा लगाया जा चुका है । जगजाहिर है कि जिस
त्यौहार की छुट्टी दूसरे शनिवार, रविवार या अन्य राजपत्रित छुट्टी के दिन आ जाए, उसे मनाने में उतना आनंद
नहीं आता जितना तब आ सकता है यदि वह त्योहार सप्ताह के किसी अन्य दिवस पधारें । दुनिया भर में मनाया
जाने वाला, दीपावली जैसा पावन त्योहार, इस बरस रविवार को आ रहा है । रविवार की पारम्परिक व्यस्तताओं के
दिन इतना बड़ा त्योहार मनाना हो तो रविवार के अवकाश की भी छुट्टी हो जाने का दुःख कुछ ज्यादा ही होता है ।
रविवार को ही पोंगल, ईस्टर, विनायक चतुर्दशी का त्योहारी अवकाश है । यह सब त्योहार सोमवार को रहते तो
कितना सुखमय होता ।
कुल मिलाकर, जितने सार्वजनिक अवकाश होते हैं, निगोशिएबल इन्स्ट्रूमेंट्स एक्ट के तहत तो उससे कम ही होते हैं
। कितनी विकसित समानता है कि आज़ादी मिलने के इतने दशक बाद भी हम छुट्टियों के मामले में एक नज़र से
नहीं देखे जाते । वास्तव में देखा जाए तो सभी विभाग या इंसान एक जैसे महत्वपूर्ण कैसे माने जा सकते हैं। जब
वक़्त सब के साथ एक जैसा सलूक नहीं करता तो बेचारा आदमी एक दूसरे के साथ बराबरी का व्यवहार कैसे कर
सकता है । इस संबंध में महिला कर्मचारी भाग्यशाली साबित होती हैं। कई राज्यों में उनको मिलने वाली तीन
छुट्टियां रक्षा बंधन, करवाचौथ व भाई दूज, वर्किंग डे पर ही आ रही है जिसके लिए उन्हें सवैतनिक अवकाश
मिलेगा।
समझदार प्राइवेट स्कूल प्रबंधकों ने होली, दिवाली, क्रिसमस व नया साल, व्यवस्थाजी की सहूलियत के आधार
पर, असली त्योहार दिवसों से पहले ही मना लेने की सांस्कृतिक परम्परा विकसित कर ली है । प्रेरणा अनेक बार
सकारात्मक बदलावों को जन्म देती है। संजीदगी से त्योहार मनाने वाले उत्सव प्रेमियों के अनुरोध के अनुसार, जो
त्योहार रविवार को पड़ते हैं उन्हें बदलकर किसी भी अन्य दिवस को रखा जाए ताकि रविवार की छुट्टियों का
आनंद बरकरार रहे । घोषित उत्सव, किसी अन्य वार को दिल से मनाने का उत्साह और बढ़ जाएगा । बदलते
ज़माने के साथ, घोषित तिथि से पहले या बाद में उत्सव या छुट्टी मनाने से अवसर की पवित्रता कम तो नहीं

होगी । ऐसा करने से कार्यदक्षता काफी बढ़ सकती है। रविवार के दिन, त्योहार की छुट्टी भी होने का रंज नहीं
रहेगा और रविवार को रविवार की तरह ही हज़म किया जा सकेगा ।
गुलिस्तान ए साथी, पक्का तालाब, नाहन 173001 (हिप्र) 9816244402