हेराल्ड न्यूजपेयर की एक कॉपी प्रिंट करवा कर जनता के बीच छल कपट का खेल : रणधीर

हेराल्ड न्यूजपेयर की एक कॉपी प्रिंट करवा कर जनता के बीच छल कपट का खेल : रणधीर

अक्स न्यूज लाइन शिमला 19 अप्रैल : 

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता एवं नैना देवी से विधायक रणधीर शर्मा ने कांग्रेस सरकार के मीडिया सलाहकार द्वारा की गई प्रेस वार्ता पर पलटवार करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के सेनापति ने नेशनल हेराल्ड न्यूजपेयर की एक कॉपी प्रिंट करवा कर जनता के समक्ष एक और छल कपट का खेल करने का प्रयास किया है। जिस समाचार पत्र की आज तक हिमाचल प्रदेश की जनता ने एक भी प्रतिलिपि नहीं देखी, तो हैरानी की बात यह है कि आज ऐसी क्या आवश्यकता पड़ गई की एक कॉपी प्रिंट करवा कर आप जनता को एक बार फिर झूठ बोलकर गुमराह करने का काम कर रहे हैं। 


उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस पार्टी को हिमाचल कांग्रेस के नेता चंदा न दे पाएं तो विज्ञापन देकर ही अपनी पार्टी की झोली भर रहे हैं। हम तो दो टूक शब्दों में कह रहे हैं कि यह जनता का पैसा है और इस पैसे का उपयोग होना चाहिए ना कि दुरुपयोग।रणधीर ने कहा कि जिन मैगजीन की नरेश चौहान बात कर रहे थे, मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं कि वह एक पंजीकृत संस्थान की मैगजीन है और एक-एक मैगजीन की हिमाचल प्रदेश में ही पांच-पांच लाख प्रतिलिपियां घर-घर जाती है और अगर पूर्व की सरकारों ने उन मैगजीन को विज्ञापन दिया है तो कम से कम उस  विज्ञापन को हिमाचल की जनता देखती भी है, पर आपके घर के समाचार पत्र हेराल्ड को जनता न पढ़ती है ना उसमें छपा विज्ञापन देखते हैं। रणधीर ने कहा कि नेशनल हेराल्ड गांधी परिवार का राजपत्र है और किसी संस्थान का नहीं है, यह केवल मात्र गांधी परिवार द्वारा संचालित है। जिन मैगजीन के बारे में नरेश चौहान बात कर रहे है, उनके ऊपर कोई ईडी के केस नहीं चल रहे हैं ना वह मैगजीन किसी भूमि घोटाले में आती है। पर नेशनल हेराल्ड के ऊपर तो ईडी का केस भी चल रहा है और घोटाले भी किए हैं।


रणधीर ने कहा यह समझना जरूरी है कि क्या कोई राजनीतिक दल, चाहे वह सेक्शन 8 कंपनी हो या सेक्शन 25 कंपनी, इस तरह का ऋण दे सकता है? एक और अहम सवाल यह है कि जिस अखबार की बात हो रही है, वह आजादी से पहले से प्रकाशित हो रहा है और उसके एक हजार से ज़्यादा शेयरधारक थे। अगर कांग्रेस पार्टी को वाकई में किसी का कर्ज माफ करना था, तो उसने एजेएल का कर्ज क्यों नहीं माफ किया? इसके बजाय कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने 'यंग इंडिया' नाम की कंपनी बनायी, जिसमें एक ही परिवार को 76 प्रतिशत हिस्सेदारी दी गयी। कांग्रेस पार्टी के दो पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष 38-38 प्रतिशत के हिस्सेदार बन गए। यानि कुल 76 प्रतिशत हिसेदारी केवल दो लोगों के पास चली जाती है और कांग्रेस पार्टी उनका ऋण माफ कर देती है।