वनों की आग पर नियंत्रण पाने के लिए जन सहभागिता नितांत आवश्यक: मुख्य सचिव
मुख्य सचिव ने कहा कि आग लगने का कारण बनने वाली गतिविधियों जैसे वन क्षेत्रों में जलती हुई सिगरेट फेंकना, प्रतिबंधित क्षेत्रों में कैंप फायर करना या जंगलों के पास आतिशबाजी इत्यादि बिल्कुल भी नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि आमजन को वनों की आग पर काबू पाने के लिए वन विभाग के अधिकारियों और अग्निशमन के प्रयासों में सहयोग करना चाहिए। उन्होंने लोगों से अवैध रूप से जंगल में आग लगाने वाले असामाजिक तत्वों के बारे में जानकारी हिमाचल प्रदेश वन विभाग और कानून प्रवर्तन एंजेंसी को देने का आह्वान किया।
प्रदेश के लगभग 27.73 प्रतिशत भू-भाग वन क्षेत्र है। प्रदेश के 2759.62 किलोमीटर क्षेत्र में चीड़ के वन हैं। चीड़ के वृक्ष आग की घटनाओं के लिए अति संवेदनशील है। प्रदेश के वन क्षेत्र में वर्ष 2023-24 के दौरान आग लगने की घटनाओं से काफी क्षेत्र प्रभावित हुआ है।
मुख्य सचिव ने कहा कि वनों को आग से बचाने के लिए अनेक महत्वाकांक्षी उपाय किए गए हैं। विभाग को मल्टी यूटीलिटी व्हीकल, ब्लोेेबैग इत्यादि उपलब्ध करवाए गए हैं और संवेदनशील क्षेत्रों में ड्रोन की सहायता से निगरानी का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में स्वयंसेवकों व गैर सरकारी संगठनों के सदस्य पंजीकृत किए गए हैं और इन्हें संबंधित क्षेत्रों में जंगल की आग के बारे में सूचित किया जाता है। इस अवसर पर स्टेट नोडल ऑफिसर निशांत मंढोतरा ने विस्तृत प्रस्तुति दी।
बैठक में पुलिस महानिदेशक डॉ. अतुल वर्मा, पीसीसीएफ (हॉफ) राजीव कुमार, एडीजीपी एवं निदेशक फायर सर्विसिज राकेश अग्रवाल, निदेशक ग्रामीण विकास राघव शर्मा, विशेष सचिव डीसी राणा और निदेशक सूचना एवं जन सम्पर्क राजीव कुमार उपस्थित थे। वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में वर्चुअल माध्यम से शामिल हुए।