अक्स न्यूज लाइन रिकांगपिओ 14 नवंबर :
राजस्व, बागवानी, जनजातीय विकास एवं जन शिकायत निवारण मंत्री जगत सिंह नेगी ने आज किन्नौर जिला के रिकांग पिओ स्थित आई.टी.डी.पी भवन के सम्मेलन कक्ष में आयोजित किया जा रहे दो दिवसीय जिला स्तरीय मधुमक्खी पालन संगोष्ठी कार्यक्रम के उदघाटन समारोह की बतौर मुख्य अतिथि अध्यक्षता की और मधुमक्खी पालन से जुड़े लोगों से सीधा संवाद स्थापित किया। कार्यक्रम में जिला के लंहगा 200 मधुमक्खी पालक व किसानों ने भाग लिया।
श्री जगत सिंह नेगी ने इस अवसर पर डॉ. वाईएस परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौनी व आरएचआरटीएस शरबो द्वारा मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने हेतु किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। उन्होंने किसानों को मधुमक्खी पालन के व्यापक लाभों की जानकारी देते हुए वैज्ञानिकों से आग्रह किया कि वे सर्दियों के दौरान मधुमक्खी कॉलोनियों के माइग्रेशन की आवश्यकता को कम करने पर कार्य करें।
बागवानी मंत्री ने कृषि और बागवानी में रसायनों के न्यूनतम उपयोग पर बल देते हुए कहा कि यह किसानों एवं मधुमक्खियों दोनों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है तथा इससे उपभोक्ताओं को सुरक्षित खाद्य सामग्री भी सुनिश्चित होती है। मंत्री ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण फल उत्पादन वर्तमान समय की मांग है और बेहतर गुणवत्ता वाले फल बाजार में किसानों को अधिक मूल्य प्रदान करवाने में अहम भूमिका अदा करते हैं।
राजस्व मंत्री ने कहा कि वैश्विक प्रतिस्पर्धा के युग में बागवानों को नवीनतम सेब की किस्में एवं गुणवत्ता से जुड़ना आवश्यक है ताकि उन्हें सेब की फसल के अधिक दाम मिल सके। उन्होंने रसायन रहित खेती पर भी बल दिया ताकि जमीन की गुणवत्ता बनी रहे और लोगों के कीटनाशक रहित उत्पाद मिल सके। उन्होंने बताया कि वर्तमान राज्य सरकार द्वारा शहद उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा जिससे बागवानों विशेषकर ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाया जा रहा है।
इस अवसर पर उपायुक्त किन्नौर डॉ. अमित शर्मा ने भी सत्र को संबोधित किया और पर्वतीय आजीविका में मधुमक्खी पालन की महत्वपूर्ण भूमिका पर विस्तृत जानकारी प्रदान की। उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश की विविध कृषि-जलवायु परिस्थितियाँ प्रचुर मधुमक्खी चारे का आधार प्रदान करती हैं, जिससे राज्य में मधुमक्खी पालन उद्योग को सुदृढ़ता मिलती है।
उपनिदेशक उद्यान डॉ. भूपेंद्र नेगी ने बताया कि यह सेमिनार डॉ. वाईएस परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौनी के क्षेत्रीय उद्यान अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र (आरएचआरटीएस) शारबो द्वारा राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड द्वारा वित्त पोषित परियोजना ‘हनी एंड अदर हाइव प्रोडक्ट्स प्रोडक्शन मॉडल फॉर सस्टेनेबल हाई-हिल बीकीपिंग इन हिमाचल प्रदेश’ के तहत आयोजित किया गया है। यह परियोजना पर्वतीय क्षेत्रों में उद्यमिता को बढ़ावा देने, परागण को सुदृढ़ करने, फसल हानि को कम करने, किसानों की आमदनी बढ़ाने तथा युवाओं के लिए रोजगार सृजित करने की दिशा में एक व्यवसायिक मॉडल के रूप में संचालित की जा रही है।
उन्होंने बताया कि कार्यक्रम में उद्यान विभाग व नाबार्ड की विभिन्न योजनाओं, किसान केंद्रित ईको-हाइव मॉडल तथा शहद व अन्य हाइव उत्पादों में संभावनाओं पर भी जानकारी दी जाएगी। प्रतिभागियों के लिए मिट्टी के छत्ते के डेमो यूनिट का फील्ड विजिट भी आयोजित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड परियोजना के तहत आरएचआरटीएस शारबो द्वारा अब तक जिले के मधुमक्खी पालकों के लिए दो बेसिक एवं दो विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं। साथ ही जिला के सुंगरा और बरी गांवों की दो महिला स्वयं सहायता समूहों (प्रत्येक में 25 सदस्य) को Apis mellifera कॉलोनियाँ एवं उपकरण उपलब्ध करवाए गए हैं, जिससे महिलाओं के लिए आजीविका के नए अवसर सृजित हुए हैं।
कार्यक्रम में आरएचआरटीएस शारबो के सहायक निदेशक डॉ. प्रमोद कुमार ने मुख्य अतिथि व प्रतिभागियों का स्वागत किया। नौणी विश्वविद्यालय के निदेशक विस्तार शिक्षा डॉ. इंदर देव ने किसानों तक वैज्ञानिक जानकारी पहुंचाने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा किए जा रहे प्रयासों पर प्रकाश डाला। परियोजना के प्रधान अन्वेषक डॉ. एस.सी. वर्मा ने परियोजना की विस्तृत जानकारी दी और बताया कि किस प्रकार वैज्ञानिक मार्गदर्शन के माध्यम से मधुमक्खी पालकों को सशक्त किया जा रहा है।
इस अवसर पर कमांडेंट 17वीं वाहिनी भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस सुनील कुमार, परियोजना अधिकारी आईटीडीपी घनश्याम दास शर्मा, पंचायत समिति कल्पा की अध्यक्षा ललिता पंचारस, उपमंडलाधिकारी कल्पा अमित कल्थाईक, उपपुलिस अधीक्षक उमेश्वर राणा, जिला परिषद सदस्य हितेष नेगी सहित अन्य अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित थे।