ब्रिगेडियर महाराजा सवाई भवानी सिंह की जयंती पर बिलासपुर के निशानेबाज दलीप सिंह चंदेल

ब्रिगेडियर महाराजा सवाई भवानी सिंह की जयंती पर  बिलासपुर के निशानेबाज दलीप सिंह चंदेल

-पहली बार दिया जाएगा  महाराजा लक्ष्यराज प्रकाश ऑफ  सिरमौर अवॉर्ड
नाहन, 21 अक्टूबर  जयपुर में ब्रिगेडियर महाराजा सवाई भवानी सिंहए एमवीसी ऑफ  जयपुर की जयंती के अवसर पर 22 अक्टूबर की शाम को प्रतिष्ठित वार्षिक पुरस्कार समारोह सवाई जयपुर अवॉड्र्स 2022 का आयोजन सिटी पैलेस के प्रीतम चौंक में किया जाएगा। इस वर्ष समारोह की खासियत यह है कि पहली बार  महाराजा लक्ष्यराज प्रकाश ऑफ  सिरमौर पुरस्कार को अन्य 24 पुरस्कारों के साथ श्रेणी में शामिल किया गया है। यह पुरस्कार महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय म्यूजियम ट्रस्ट द्वारा इस वर्ष दलीप सिंह चंदेल को शूटिंग और कोचिंग के क्षेत्र में उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए प्रदान किया जाएगा। दलीप सिंह चंदेल हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के सल्नू गांव के रहने वाले हैं। वह पिछले 40 वर्षों से निशानेबाजी के खेल में हैं और उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर और कई अन्य प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए कुल 108 पदक जीते हैं। वह 1999 से भारतीय शूटिंग टीम के कोच भी हैं।
उल्लेखनीय है कि महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय म्यूजियम ट्रस्ट द्वारा ये पुरस्कार 25 श्रेणियों में दिए जाएंगें। ये पुरस्कार मानवता की सेवा, हेरिटेज संरक्षण, चिकित्सा विज्ञान, परम्परागत शिल्प के क्षेत्र आदि विभिन्न श्रेणियों में दिये जाएंगे। इन पुरस्कारों में नकद राशिए शॉल, सिटी पैलेस के सर्वतोभद्र चौक में रखी रजत कलश की प्रतिकृति, प्रशस्ति पत्र और श्रीफल शामिल है।
गौरतलब है कि एचएच महाराजा लक्ष्यराज प्रकाश ऑफ  सिरमौर, भारत के प्रसिद्ध राज परिवारों जयपुर और सिरमौर दोनों के सदस्य हैं। 2004 में जन्मे, महाराजा लक्ष्यराज प्रकाश जयपुर की राजकुमारी दीया कुमारी की सबसे छोटी संतान हैं। राजमाता पद्मिनी देवी ने उन्हें 9 वर्ष की आयु में सिरमौर के उत्तराधिकारी के रूप में मनोनीत किया था। महाराजा लक्ष्यराज प्रकाश ऑफ  सिरमौर, वर्तमान में यूके के मिलफील्ड स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं। पढ़ाई के साथ.साथ उनकी क्रिकेट खेल में भी रूचि है। वे मिलफील्ड टीम में क्रिकेट खेलते हैं और साथ ही उन्होंने राष्ट्रीय स्तर की क्रिकेट प्रतियोगिता में भी भाग लिया है। वे सिरमौर के पूर्ववर्ती रियासत  की विशाल सांस्कृतिक, कलात्मक और स्थापत्य विरासत के संरक्षक के रूप में प्रतिबद्ध हैं।