तीर्थन घाटी में पेखड़ी पंचायत के सैंकड़ों लोग सड़क सुविधा के अभाव में बेहाल, नाहीं गांव की बीमार महिला को 3 किलोमीटर पालकी में ऊठाकर पहुंचाया सड़क मार्ग तक।

तीर्थन घाटी में पेखड़ी पंचायत के सैंकड़ों लोग सड़क सुविधा के अभाव में बेहाल, नाहीं गांव की बीमार महिला को 3 किलोमीटर पालकी में ऊठाकर पहुंचाया सड़क मार्ग तक।
अक्स न्यूज लाइन तीर्थन घाटी गुशैनी बंजार (परस राम भारती):- 
जिला कुल्लू के उप मण्डल बंजार में तिर्थन घाटी के कई गांव आजादी के दशकों बाद भी  सड़क मार्ग जैसी मुलभुत सुविधाओं से बंचित है। यहां की ग्राम पंचायत पेखड़ी के सैंकड़ों लोग आज भी वाहन योग्य सड़क सुविधा के लिए तरस रहे हैं। 
तीर्थन घाटी गुशैनी को विश्व धरोहर ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क का प्रवेश द्वार कहा जाता है जहां पर जैविक विविधता का अनमोल खजाना छिपा पड़ा है। यहां प्रतिवर्ष सेंकड़ों की संख्या में अनुसंधानकर्ता, प्राकृतिक प्रेमी, पर्वतारोही, ट्रैकर और देशी विदेशी सैलानी घूमने फिरने का लुत्फ उठाने के लिए आते है। लेकिन इस क्षेत्र के सैंकड़ों बाशिंदे आजतक आजादी के सात दशक बाद भी विकास से कोसों दूर है। यहां के लोग अभी तक सड़क, रास्तों, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी कई मूलभूत सुविधाओं से बंचित्त है। 
यहां के नाहीं गांव में पिछले कल सुमन लता पत्नी लुदर सिंह उम्र 42 वर्ष अचानक बीमार हो गई जिसे आज बीमारी हालात में पालकी पर उठाकर पहाड़ी रास्ते से करीब 3 किलोमीटर पैदल सड़क मार्ग पेखड़ी तक पहुंचाया गया। जहां से इसे निजी वाहन द्वारा इलाज के लिए बंजार अस्पताल ले जाया गया। सड़क मार्ग के अभाव में यहां के लोगों को कई बार ऐसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
ग्राम पंचायत पेखड़ी के गांव दारन, धार, शूंगचा, घाट, लाकचा, नाहीं, बाईटी, बुरंगा, शलींगा, टलींगा, गदेहड़, लुढ़ार और नडाहर आदि गांव के सैंकड़ों लोग अभी तक सरकार व प्रशासन से उम्मीद लगाए बैठे है कि कब तक उनकी देहलीज तक भी सड़क पहुंच जाए। यहां के लोग अभी तक अपनी पीठ पर बोझ ढोने को मजबुर है। इन  गांव में जब कोई व्यक्ति बीमार पड़ जाए तो मरीज को दुर्गम पहाड़ी पगडंडी रास्तों से लकड़ी की पालकी और कुर्सी में उठा कर सड़क मार्ग तक पहुंचाना पड़ता है। इस क्षेत्र से पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं को हाई स्कूल व इससे आगे की पढ़ाई करने के लिए प्रतिदिन करीब दो से पांच घंटे तक का सफर पैदल तय करना होता है।  
नाहीं गांव के स्थानीय निवासी लोभु राम, लाल सिंह, धनी राम, गोपाल, दिशू, जगदीश, तुले राम, जीवन, डोला सिंह, महेश्वर, लल्ली, आलम चन्द, राजू राम और सचिन आदि का कहना है कि यहाँ पर सड़क मार्ग तो अभी दूर की बात है लेकिन जो पैदल चलने योग्य रास्ते है उनकी हालात भी बदतर बनी हुई है। इन रास्तों पर घोड़े खच्चर चलाना भी खतरे से खाली नहीं है। इन
पहाड़ी रास्तों में कई जगह पर तो लोगों को पैदल चलने में काफी दिक्कत होती है। कुछ खतरनाक स्थानों पर तो सुरक्षा के भी कोई इंतजाम नहीं है जहां पर हर समय जानी हादसे का अंदेशा बना रहता है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि काफी जद्दोजेहद के बाद वर्ष 2021 में नगलाड़ी नाला से नाहीं घाट तक करीब 11 किलोमीटर लम्बी सड़क निर्माण का कार्य शुरू हुआ था लेकिन आजतक यह सड़क अपने मुकाम तक नहीं पहुंच पाई। अधिकारिक सुचना के मुताबिक करीब 9 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित होने वाली इस सड़क का कार्य अप्रैल 2023 में पूर्ण होना था लेकिन अभी तक यह सड़क तीन किलोमीटर तक भी ठीक से नहीं बन पाई है। लोगों ने ठेकेदार और लोक निर्माण विभाग पर निर्माण कार्य में लेटलतीफी का आरोप लगाया है जिस कारण लोगों में भारी रोष व्याप्त है। स्थानीय लोगों ने शासन प्रशासन से गुहार लगाई है कि इस सड़क निर्माण के कार्य को गति दी जाए ताकि समय पर इसका लाभ मिल सके।
लोक निर्माण विभाग बंजार मंडल के अधिशाषी अभियंता चमन ठाकुर ने बताया कि गत वर्ष आई आपदा के कारण सड़क निर्माण कार्य में विलम्ब हुआ था लेकिन अब इसका कार्य जारी है। इन्होंने बताया कि कि इस सड़क पर दो मशीनरी लगाकर इसके निर्माण कार्य को गति दी जाएगी।