नाहन के लक्ष्मी नारायण मंदिर में स्थापित गोविंद प्रतिमा भक्तों की मनोकामना पुर्ण करती है.. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष

अक्स न्यूज लाइन नाहन 15 अगस्त :
रियासत काल में लक्ष्मी नारायण मंदिर में स्थापित गोविंद जी कृष्ण की प्रतिमा का विशेष महत्व था। गोवर्धन पूजा के दिन इस प्रतिमा को बड़ी श्रद्धा और शाही ठाठ-बाट के साथ भव्य शोभायात्रा में सजाया जाता था। ढोल-नगाड़ों और शंखध्वनि के बीच पालकी को राजमहल ले जाया जाता था। राजमहल पहुंचने पर वहां विशेष वेदिक मंत्रोच्चारण और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ प्रतिमा का विधिवत पूजन किया जाता था।
लक्ष्मी नारायण मंदिर भगवान विष्णु के लक्ष्मी-नारायण स्वरूप को समर्पित है। इस मंदिर में उन भक्तों की विशेष उपस्थिति रहती थी, जो भगवन विष्णु की कृष्णा नारायण रूप की पूजा करते थे। शिव भक्तों के लिए अलग-अलग शिवालय, शक्ति उपासकों के लिए काली मंदिर और हनुमान भक्तों के लिए हनुमान मंदिर भी बनाए गए। इस तरह, विभिन्न देवी-देवताओं के लिए अलग-अलग पूजा स्थलों का निर्माण कर शहर को एक धार्मिक केंद्र के रूप में विकसित किया गया।
कंवर अजय बहादुर ने बताया कि नाहन का मुख्य धार्मिक आयोजन वामन द्वादशी का पालना उत्सव है। इस अवसर पर मंदिर से सजे-धजे पालनो की विशेष पालकी यात्रा निकाली जाती है, जिसे श्रद्धालु पूरे उत्साह से नगर के विभिन्न मार्गों से होकर ले जाते हैं। यात्रा के दौरान पालनो को नौका विहार भी कराया जाता है, जो इस आयोजन का विशेष आकर्षण होता है।
प्राचीन लक्ष्मी नारायण मंदिर शहर की ऐतिहासिक और धार्मिक पहचान का अहम हिस्सा है। नाहन के पूर्व विधायक कंवर अजय बहादुर ने बताया कि यह मंदिर महाराजा भू प्रकाश के शासनकाल में लगभग वर्ष 1708 से 1710 के बीच बनवाया गया था।